बलिया में सरयू नदी की लहरों का डर अब तक बैरिया तहसील के तटीय गांवों में स्पष्ट दिख रहा है। नदी की फुटती लहरों के खौफ से लोग अपने घरों को सुरक्षित करने के लिए मजबूर हैं, जिन्हें वे संघटित तिनका-तिनका से बनाए थे। वह चबूतरा, जो गांव के बुजुर्ग आपस में गुफाएँ बैठकर बातें करते थे, वह अब खंडहर बन गया है। कई परिवार जो अपने पक्के घरों से जीवन की शुरुआत कर चुके थे, वे अब प्लास्टिक के टुकड़ों के नीचे रहने को मजबूर हैं।
सरयू नदी से हो रहे कटान को रोकने के लिए बाढ़ विभाग ने फ्लड फाइटिंग के नाम पर बड़े पैमाने पर पैसे खर्च किए हैं, लेकिन इसके बावजूद कटान नहीं रुका। कटान तभी रुका, जब सरयू नदी का पानी तलहटी में पहुँच गया। गांव के मुसाफिरों ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन की मेहनत से बनाई गई अपनी पुरानी छतों को खो दिया है, जो एक ही पल में सरयू नदी में बह गई।
हम अपनी बर्बादी का दृश्य खुली आँखों से देख रहे हैं। हम में से केवल 7 लोगों को तहसील प्रशासन ने आवासीय भूमि का पट्टा दिया है, जबकि अब भी 43 कटान पीड़ित आवासीय पट्टा का इंतजार कर रहे हैं। गोपालनगर में बाढ़ पीड़ितों को सहायता किट वितरण के समय सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार के सामने कहा था कि सभी 188 परिवारों को आवासीय भूमि का पट्टा देने का आलंब यहाँ लिखा हुआ है, लेकिन अब तक प्रशासन ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की है।
कुछ कटान पीड़ित लोग अब टंकियों के चारों ओर जकड़े हुए हैं, जो एक प्लास्टिक तार पर जीवन की अच्छाई कर रहे हैं, क्योंकि मिट्टी तेल की आपूर्ति नहीं हो रही है। वहाँ बिजली की आपूर्ति भी नहीं है और जेनरेटर के नाम पर तहसील प्रशासन विफल हो रहा है। कुछ कटान पीड़ित लोग अब पुराने रेलवे लाइन के पास दो किलोमीटर दूर जी रहे हैं, जो अपने हालात पर जी रहे हैं।
इसी समय, गोपालनगर टाड़ी गांव में घरों के नष्ट होने का सिलसिला रुक गया है। क्योंकि पिछले एक हफ्ते से नदी की बहुत ही धीमी हो गई है। गोपालनगर टाड़ी गांव में घरों की तबाही की दिशा में अब कोई बाधा नहीं है। कटान अब रुक गया है। नदी की कटान के आने की आशंका से लोग घबराए हुए हैं।