Mahalakshmi Vrat Kab Hai: महालक्ष्मी व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो धन, समृद्धि और भाग्य की देवी देवी महालक्ष्मी को समर्पित है। महालक्ष्मी व्रत हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
Mahalaxmi Vrat 2023 Date: हिंदू धर्म में, हालांकि शुक्रवार देवी लक्ष्मी को समर्पित है, भाद्रपद और अश्विन महीनों के 16वें दिन देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं। इन दिनों को महालक्ष्मी व्रत के नाम से जाना जाता है। इस दौरान महिलाएं पूजा करती हैं, व्रत रखती हैं, मंत्रों का जाप करती हैं और देवी लक्ष्मी की पूजा करती हैं।
ये व्रत धन, सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं। महालक्ष्मी व्रत कोई भी कर सकता है, लेकिन अगर आप व्रत करने में असमर्थ हैं तो आपको इन शुभ दिनों में रोजाना महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। इसका पाठ 16 दिनों तक करने से व्रत के समान ही पुण्य मिलता है।
महालक्ष्मी व्रत 2023/ Mahalakshmi Vrat 2023 मुहूर्त की तिथि और समय
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, महालक्ष्मी व्रत इस दिन है:
- भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तिथि आरंभ - 22 सितंबर 2023, दोपहर 01:35 बजे
- भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तिथि समाप्त – 23 सितंबर 2023 दोपहर 12:17 बजे
- महालक्ष्मी व्रत तिथियाँ - 22 सितंबर 2023 से 6 अक्टूबर 2023
- महालक्ष्मी व्रत अवधि - 15 दिन
- मुहूर्त प्रातः काल – प्रातः 07:40 – प्रातः 09:11 (22 सितंबर 2023)
- दोपहर का मुहूर्त - दोपहर 12:14 - दोपहर 01:45 (22 सितंबर, 2023)
- सायंकाल मुहूर्त - सायं 09:16 - सायं 10:45 (22 सितंबर 2023)
महालक्ष्मी पूजा करने का सबसे शुभ समय अष्टमी तिथि के दौरान है जो 22 सितंबर, 2023 को है। भक्त को सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच पूजा करनी चाहिए और व्रत कथा पढ़नी चाहिए।
महालक्ष्मी व्रत विधि: Mahalakshmi Vrat Vidhi
महालक्ष्मी व्रत की विधि और विधि इस प्रकार है:
- सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- पूजा वेदी को साफ करें और रंगोली, फूल, आम के पत्तों आदि से सजाएं। देवी महालक्ष्मी की मूर्ति या चित्र रखें।
- तेल या घी का दीपक जलाएं. देवी को फूल, कुमकुम, हल्दी और चंदन चढ़ाएं।
- महालक्ष्मी व्रत में गेंदा जैसे नारंगी या पीले रंग के फूल शुभ माने जाते हैं।
- महालक्ष्मी प्रार्थना, आरती और व्रत कथा का पाठ करें।
- इस दिन भक्तों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। शराब या मांसाहारी भोजन का सेवन न करें।
- पूरे दिन व्रत रखें और शाम को दर्शन शुरू होने के बाद ही भोजन करें। फल, दूध और व्रत व्यंजनों जैसे सात्विक भोजन का सेवन करें।
- कुछ भक्त कठिन निर्जल (बिना पानी के) व्रत रखते हैं। आध्यात्मिक मार्गदर्शन के बिना निर्जल व्रत न रखने की सलाह दी जाती है।
- रात भर जागना और अगले दिन सुबह के समय अनुष्ठान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
- अगले दिन ब्राह्मणों या जरूरतमंद लोगों को कपड़े, भोजन और पैसे जैसी चीजें दान करें।
महालक्ष्मी व्रत की उपवास प्रक्रियाएं और अनुष्ठान क्षेत्रीय आधार पर थोड़े भिन्न हो सकते हैं। अपनी पारिवारिक परंपराओं, समुदाय और आध्यात्मिक मार्गदर्शन के अनुसार अनुष्ठानों का पालन करें।
महालक्ष्मी व्रत का महत्व और लाभ - Importance and Benefits of Mahalakshmi Vrat
महालक्ष्मी व्रत के दौरान देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इन 16 दिनों में मां लक्ष्मी की पूजा करने से भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। अगर इस व्रत को पूरे विधि-विधान से किया जाए तो इससे व्यक्ति के जीवन से दरिद्रता दूर हो जाती है और सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। यह घर और परिवार में खुशी और प्रचुरता भी लाता है।
माना जाता है कि अगर सच्ची श्रद्धा से महालक्ष्मी व्रत मनाया जाए तो यह पूरे वर्ष सौभाग्य, सफलता और समृद्धि लाता है। इस दिन व्रत करने से आर्थिक बोझ से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। व्रत व्यक्ति के जीवन को सकारात्मकता और प्रगति से भर देता है। व्यवसाय फलता-फूलता है और व्रत के बाद शुरू किया गया कोई भी नया उद्यम फलदायी होता है।
देवी महालक्ष्मी के आशीर्वाद से भक्तों को आध्यात्मिक उत्थान और मन की शांति मिलती है। नकारात्मक विचार और बाधाएं दूर होती हैं। व्रत रखने वाली अविवाहित लड़कियों की शादी अच्छे परिवारों में होती है। विवाहित महिलाओं को सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है। कुल मिलाकर, इस शुभ व्रत को करने से सच्चे भक्तों को जीवन के सभी पहलुओं में अच्छा स्वास्थ्य, भाग्य और समृद्धि मिलती है।
लक्ष्मी पूजन सामग्री: Lakshmi Pujan Samagri
रोली, गुलाल, अबीर, अक्षत, कलावा, मेहंदी, हल्दी, टिक्की, लौंग, इलायची, बादाम, सुपारी, बिछिया, कपड़े, फूल, दूब, अगरबत्ती, कपूर, इत्र और मौसमी फल जैसी सभी आवश्यक वस्तुएं इकट्ठा कर लें। अनुष्ठान करने के लिए फूल. एक थाली में पंचामृत रखें. 16 श्रृंगार और मावे का प्रसाद न भूलें।
Mahalakshmi Vrat Legend: महालक्ष्मी व्रत कथा
महालक्ष्मी व्रत से जुड़ी एक लोकप्रिय कथा है:
प्राचीन काल में शंख धन और वनिता नामक एक गरीब ब्राह्मण दंपत्ति रहते थे जो महालक्ष्मी के बहुत बड़े भक्त थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर, देवी महालक्ष्मी वनिता के सपने में प्रकट हुईं और उन्हें महालक्ष्मी व्रत का पालन करने का निर्देश दिया और उन्हें आशीर्वाद दिया जाएगा।
वनिता ने व्रत अनुष्ठानों का निष्ठापूर्वक पालन किया और पूरी भक्ति के साथ देवी की पूजा की। शीघ्र ही महालक्ष्मी की कृपा से शंखधन को अपार धन और समृद्धि प्राप्त हुई। उन्होंने मोक्ष भी प्राप्त किया और जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो गए। इस प्रकार, महालक्ष्मी व्रत दंपत्ति के लिए उनकी गहरी भक्ति और विश्वास के कारण अपार सौभाग्य लेकर आया।
देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय: Ways to Please Goddess Lakshmi
देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं:
- शुक्रवार को लाल चुनरी या गुलाबी वस्त्र धारण करें। मां लक्ष्मी को लाल रंग बहुत पसंद है।
- पीले फूल, चावल, सिक्के और सोने की वस्तुएँ घर में रखें। ये मां लक्ष्मी को आकर्षित करते हैं।
- हर शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करें और लक्ष्मी स्तोत्र पढ़ें।
- दीपमाला जलाएँ और घी का दीपक जलाएँ। यह मां लक्ष्मी को खुश करता है।
- पीपल के पेड़ की पूजा करें। पीपल मां लक्ष्मी का प्रिय वृक्ष है।
- कमाई में से थोड़ा दान करना चाहिए। मां लक्ष्मी दानपरायणता से प्रसन्न होती हैं।
- मां लक्ष्मी के मंत्र - ॐ लक्ष्मी नमः का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।
निष्कर्ष: Conclusion
महालक्ष्मी व्रत हिंदुओं के लिए एक अत्यधिक महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक रूप से पुरस्कृत त्योहार है। समर्पण के साथ व्रत और पूजा अनुष्ठानों का ईमानदारी से पालन करने से, व्यक्ति देवी महालक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है जो उसके जीवन के भौतिक और आध्यात्मिक लक्ष्यों को पूरा करता है। धन और प्रचुरता के चाहने वालों को यह व्रत अवश्य करना चाहिए जो आने वाले वर्ष के लिए समृद्धि और सौभाग्य की शुरुआत करता है।
FAQS
महालक्ष्मी व्रत कब है?
इस साल महालक्ष्मी व्रत का पर्व 22 सितंबर 2023 से शुरू होकर 6 अक्टूबर 2023 तक चलेगा।
महालक्ष्मी व्रत 2023 तिथि क्या है?
महालक्ष्मी व्रत 2023 की शुरुआत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होगी, जो कि 22 सितंबर 2023 को है।
क्या देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय?
महालक्ष्मी व्रत के दौरान मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए सुबह-शाम घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाना चाहिए। व्रत शुरू करने से पहले मुख्य द्वार पर हल्दी और कुमकुम से मां लक्ष्मी के पैरों के निशान बनाएं। साथ ही महालक्ष्मी मंत्र - ॐ लक्ष्मी नमः का प्रतिदिन 108 बार जाप करें।
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