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Ghazipur News: पिता के निधन के बाद, बहन ने जिम्मेदारी उठाई, अब सूर्य की तरह चमके

गाजीपुर। पिछले बुधवार को चंद्रयान-3 में चांद की सतह को छूकर भारत के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में अपनी क्षमता का सबूत दिया। इसके महत्वपूर्ण हिस्से में गाजीपुर के रेवतीपुर गांव के कमलेश शर्मा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद, इसरो के मिशन सूर्ययान आदित्य एल-1 को सफलतापूर्वक लॉन्च करने में गाजीपुर के ही एक और महत्वपूर्ण व्यक्ति, डॉ. विजयशंकर राय, ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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आदित्य एल-1 की सफलता के साथ, पूरी दुनिया की नजरें देश पर हैं। इस मिशन में बीएचयू के दो वैज्ञानिकों के साथ-साथ डॉ. विजयशंकर राय का योगदान भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। जिले के भांवरकोल क्षेत्र के तरांव गांव के निवासी डॉक्टर विजय शंकर राय की संघर्षपूर्ण कहानी भी किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत से कम नहीं है।

लेकिन विपरीत परिस्थितियों में भी, यदि कोई व्यक्ति लगन और मेहनत से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है, तो सफलता आने में विश्वास रख सकता है। शायद इसे शायर बदी़श के यह शेर सबसे अच्छी तरह से व्यक्त करता है - 'वक्त मुखालिफ हो तो काम बन बनकर बिगड़ जाता है, सफ़ीना जा पड़ी मझधार में शाहिल से टकराकर।' डॉ. विजयशंकर राय की कहानी भी किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत से कम नहीं है।

जब मात्र 10 साल की आयु में ही उनके पिता का निधन हो गया, तो परिवार पर बड़ा भार आया। उनकी पढ़ाई की शुरुआत गांव के प्राथमिक विद्यालय में हुई, और कक्षा 1 से 5 तक वह वहीं पढ़े। इसके बाद, उनकी बहन किरण राय ने उन्हें सहारा दिया और उनकी पढ़ाई के लिए उन्हें वाराणसी ले गईं। वहां, राजकीय क्वींस कॉलेज वाराणसी में दाखिला हुआ और उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखी।

उन्होंने विजय की पढ़ाई के लिए एक अभिभावक की मदद करते हुए वाराणसी ले जाने में सहयोग किया। आगे की पढ़ाई के लिए, उन्होंने उन्हें राजकीय क्वींस कॉलेज वाराणसी में प्रवेश दिलाया। इसके बाद, वे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, तेलंगाना से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। डॉ. विजयशंकर राय ने अपनी प्रतिभा और क्षमता के बल पर 2006 में इसरो में शामिल हो गए और उसके बाद, उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

उसके बाद, उनकी सफलता का सफर लगातार जारी रहा है। चंद्रयान -3 की सफलता के बाद, मिशन सूर्य आदित्य एल-1 को सफलता पूर्वक लॉन्च करने तक पहुंच गया है, और इसमें डॉ0 विजयशंकर की भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्हें युवा साइंटिस्ट का अवार्ड भी प्राप्त हुआ है। उनकी बहन किरण राय का कहना है कि मिशन आदित्य एल -1 की सफल लॉन्चिंग से पूरा परिवार उत्साहित हो गया है।

उनकी परिवार में दो बहनें, किरण राय और सरोज विमला, और एक भाई, अजय शंकर राय, भी हैं। माता सुंदरी राय ने आदित्य की सफलता के लिए पूजा पाठ में विशेष भाग्य दिया। आदित्य एल-1 की सफल लॉन्चिंग से इसरो के बैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में अपनी क्षमता का प्रमोट किया, जिससे पूरी दुनिया में महसूस हुआ। डॉ. बिजयशंकर राय की मिशन आदित्य एल-1 की लॉन्चिंग में अहम भूमिका से जनपद को एक बार फिर से गौरवित महसूस कराया है।

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