गाजीपुर के विकास खंड भदौरा के सेवराई गांव में स्थित प्राचीन शिव मंदिर मनुष्यों के लिए आस्था का मुख्य स्रोत है। यहाँ की जनता मानती है कि मंदिर में स्थित भगवान शिव की पूजा करने से उनकी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। ऐसे कारणों से गांव के इस प्राचीन मंदिर में हमेशा भक्तों की भीड़ दिखाई देती है। सावन मास में भगवान शिव की पूजा और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है।
प्राचीन शिव मंदिर |
जानिये क्या है मंदिर का इतिहास
शिव मंदिर के विचारकों के पास इसकी असली प्राचीनता की जानकारी नहीं है। स्थानीय लोगों के अनुसार, प्राचीन समय में यहां शिवलिंग स्वतः प्रकट हुआ था। धीरे-धीरे लोगों की श्रद्धा बढ़ी और एक महत्वपूर्ण मंदिर का निर्माण हुआ। 1984 में गांव की श्रीमती श्याम सुन्दरी देवी ने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था। 2015 में पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह ने शिव मंदिर की सुंदरता को बढ़ाने के लिए कार्य किया था।
जाने मंदिर की विशेषता के बारे में
प्राचीन शिव मंदिर में भक्तों के मन से आत्मीयता से पूजा करने के लिए स्थान होता है, और भोलेनाथ के दर्शन-पूजन से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा, दैहिक, दैविक और भौतिक संकटों से भी भक्तों को राहत मिलती है। इसके कारण, यहाँ आने वाले भक्तों की हमेशा भीड़ दिखाई देती है। यहाँ की पूजाएँ और तपस्या से लोग शांति और साधना प्राप्त करते हैं। इस परिसर में लगभग 100 साल पुराना पीपल का पेड़ भी है।
भगवान भोलेनाथ का यह सिद्ध मंदिर
पुजारी रमेश पाठक के अनुसार, यह मंदिर भगवान शिव के प्रति अच्छी श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। गंगाजल और गाय के दूध से मिश्रित जल के अभिषेक से भोले नाथ की कृपा भक्तों पर बरसती है। यहाँ प्रतिदिन कई भक्त आते हैं जिन्हें इस मंदिर में शांति और साधना मिलती है। सुबह-शाम आरती होती है और पूजारी भक्तों की सुविधाओं का ध्यान रखते हैं।
स्थानीय संतोष सिंह ने बताया कि इस मंदिर के प्रति गांव के लोगों में अनवरत श्रद्धा है। प्रत्येक सोमवार के साथ ही सावन मास और शिवरात्रि के दिन यहाँ लोग पूजा और अर्चना के लिए आते हैं। वे हर दिन भगवान शिव के दर्शन और पूजा-अर्चना के लिए यहाँ आते हैं। प्रतिदिन शाम को आरती में उनकी भागीदारी होती है। उनकी कई मनोकामनाएं यहाँ पूरी हो चुकी हैं।
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