वाराणसी में स्कूबा डाइविंग की शुरुआत बाढ़ के बाद की योजना है। इस योजना का निर्णय यूपी एडवेंचर स्पोर्ट्स एसोसिएशन की शुक्रवार को हुई बैठक में लिया गया। गोमतीनगर, लखनऊ स्थित एसोसिएशन के कार्यालय में हुई इस बैठक में वाराणसी को एडवेंचर स्पोर्ट्स हब बनाने की योजना पर चर्चा हुई। जिला एडवेंचर स्पोर्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. एके सिंह के अनुसार, बनारस में गंगा में स्कूबा डाइविंग के लिए उपयुक्त माहौल मौजूद है।
समुद्र में डॉल्फिन होने पर विचार भी होता है कि जहां नदी में डॉल्फिन होती है, वहां जल की सफाई और जलीय जीवन की स्थिति बेहतर होती है। वाराणसी में डॉल्फिन हैं और यहां पानी का प्रवाह भी धीमा होता है। इसके साथ ही यहां पर्यटक भी अधिक आते हैं, जिनके लिए स्कूबा डाइविंग एक आकर्षण का स्रोत हो सकता है। बनारस में स्कूबा डाइविंग का प्रस्ताव भी पहले से ही शासन की मंजूरी प्राप्त कर चुका है और इसकी तैयारी बाढ़ खत्म होने के बाद आरंभ होगी। इसके साथ ही, पहले से तय पावर बोटिंग रेस की तैयारी भी शुरू की जाएगी।
स्कूबा डाइविंग क्या होता है?
स्कूबा डाइविंग एक प्रकार की वाटर स्पोर्ट्स है जिसमें व्यक्ति को पानी के नीचे की दुनिया को देखने के लिए विशेष उपकरणों का उपयोग करके गहराई में जाने का मौका मिलता है। इसे आमतौर पर प्रशिक्षित गोताखोर समुद्र में करते हैं, लेकिन कुछ नदियों में भी यह संभव होता है। स्कूबा डाइविंग के लिए खास प्रशिक्षण की जरूरत नहीं होती है, और आमतौर पर गोताखोर के साथ 20 फुट तक की गहराई में जाने की अनुमति दी जाती है।
स्कूबा डाइविंग से विदेशी पर्यटकों का आकर्षण बढ़ेगा
नेशनल इंस्टिट्यूट आफ वाटर स्पोर्ट्स ने बनारस में स्कूबा डाइविंग की योजना बनाने का प्रस्ताव दिया है। इससे विदेशी पर्यटकों का आकर्षण भी बढ़ेगा और लोगों का नदी के प्रति रुझान भी बढ़ेगा। इसके साथ ही, गंगा पार रेती में बीच फुटबॉल के आयोजन पर भी चर्चा हुई। बड़ा रेतीला इलाका होने और वहां की सुविधा को देखते हुए, इस आयोजन की तैयारी शुरू की जाएगी। यदि यह आयोजन सफल होता है, तो और भी खेल आयोजित करने का विचार किया जा सकता है।