चंदौली जिला के न्यायालय और जिला मुख्यालय के निर्माण के संबंध में, अधिवक्ताओं का आंदोलन अब तक अनवरत रहा है, और 39वें दिन भी इसका प्रवृत्त है। चंदौली से बड़ी संख्या में बाइक सवार अधिवक्ताएं वाराणसी के प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचने के लिए गई, लेकिन कोई योग्य अधिकारी उनके पत्रक को लेने नहीं आया, तो वे कार्यालय के बाहर ही धरना प्रदर्शन करने बैठ गए। बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के पूर्व चेयरमैन और वर्तमान सदस्य हरिशंकर सिंह, साथ ही वाराणसी के अधिवक्ताओं ने भी चंदौली के अधिवक्ताओं के समर्थन में उनके साथ जुड़ने का निर्णय लिया।
न्यायालय निर्माण संघर्ष समिति के अध्यक्ष झन्मेजय सिंह और अन्य अधिवक्ताएं ने अपनी मांगों को प्रधानमंत्री तक पहुंचाने की जिद के साथ धरना प्रदर्शन किया। झन्मेजय सिंह ने कहा कि या तो हमारे पत्रक को स्वीकृति मिलनी चाहिए, या फिर हमें सभी को जेल भेज दिया जाए। हमारी मांगें विवादरहित हैं और हमें उन्हें मान्यता देनी चाहिए। अगर प्रधानमंत्री अपने आपको 'प्रधान सेवक' कहते हैं, तो उनके सेवकों का यह आचरण जनता की भावनाओं के साथ योग्य नहीं है।
यह निष्कर्ष निकलते ही, एसीपी प्रवीण सिंह द्वारा वाराणसी कमिश्नर के निर्देशन में उपस्थित अधिवक्ताओं के ज्ञापन का स्वागत किया गया और उन्हें यह आश्वासन दिलाया गया कि उनके पत्रक को जल्द से जल्द प्रधानमंत्री जी तक पहुंचाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे और उन्हें इस पर जानकारी भी दी जाएगी। उन्होंने अधिवक्ताओं के पत्रक की छायाप्रति की भी रिसीविंग दी। इसके बाद, अधिवक्ताएं शांतिपूर्वक धरना समाप्त कर दिया।
इस दौरान, धनंजय सिंह, अमित सिंह द्ददू, भूपेंद्र सिंह, सत्येंद्र बिन्द, संतोष पाठक, विद्या तिवारी, अमित त्रिपाठी, विकास सिंह, पंकज सिंह, मणिशंकर राय, संदीप सिंह आदि भी उपस्थित रहे।