रसगुल्ला एक ऐसी चीज है, जिसे खाने का मन एक बार नहीं बल्कि कई बार करता है। और अगर किसी खास दुकान का रसगुल्ला खाने को मिल जाए, तब तो बात ही कुछ और है। आपने कई दुकानों से फेमस रसगुल्ले खाए होंगे लेकिन कभी गाजीपुर के लोकप्रिय रसगुल्ले खाएं हैं। वाराणसी-गाजीपुर के ठीक सामने सैदपुर में तहसील गेट के सामने रसगुल्ले की दुकान का क्रेज 5 दशक से फेमस है।
यह खास रसगुल्ला दिन में सुबह 9 बजे से दोपहर के 2 बजे तक ही मिलता है। इस मिठाई की चर्चा अच्छे से व्यंजनों की तरह हर किसी के जुबान पर सुनने को मिलती है। ये दुकान इतनी प्रसिद्ध है कि इंदिरा गांधी ने भी इस मिठाई की प्रशंसा कर दी थी।
पिता की विरासत को भाई ने संभाला। ये दुकान पहले रामकरन यादव ने पांच दशक पहले खोली थी, लेकिन फिर उनका निधन हो गया, और ये विरासत दोनों बेटों को मिल गई। अब दोनों भाई मिलकर दुकान संभालते हैं और आज भी रसगुल्लों का स्वाद वैसे का वैसा ही है। उनका कहना है कि रसगुल्लों में किसी भी तरह की कोई कमी ना रहे, इसलिए वे रोज सुबह 9 बजे से दोपहर के 2 बजे तक रसगुल्ले बेचते हैं।
रोज दो क्विंटल रसगुल्लों की बिक्री होती है, जिन्हें दूध से बनाया जाता है और रसगुल्लों में मैदे का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसलिए ये काफी सॉफ्ट बनते हैं। रसगुल्लों की कीमत 18 रुपए है। शादी के सीजन में दूध की कमी के कारण रसगुल्ले सीमित मात्रा में ही बिकते हैं। बता दें, सैदपुर में आने वाले हर नए अधिकारी भी यहां के रसगुल्ले जरूर खाते हैं।
इंदिरा गांधी भी इन रसगुल्लों की दीवानी थी। साल 1972 में किसी काम के सिलसिले में इंदिरा गांधी सैदपुर आई थीं और इस दौरान वो गांधी आश्रम में रूकी थीं। उस समय उनकी खातिरदारी में रामकरण के रसगुल्ले भी रखे गए थे, जिसे चखने के बाद उन्होंने काफी समय तक इन रसगुल्लों की तारीफ की थी।
यदि आप सोच रहे हैं, आखिर ये दुकान कहां है और आप गाजीपुर में रहते हैं, तो आप इस दुकान पर रसगुल्लों का मजा लेने के लिए जा सकते हैं। गाजीपुर सैदपुर में तहसील गेट के सामने यह खास दुकान स्थित है।