गाजीपुर जिले को वीर सपूतों की धरती के नाम से भी पुकारा जाता है। इसी जिले में गंगा नदी के किनारे पर ताड़ी घाट रेलवे स्टेशन स्थित है। इतिहासकार ओबेदुर रहमान बताते हैं कि इस रेलवे स्टेशन पर रवींद्रनाथ टैगोर और स्वामी विवेकानंद भी आ चुके हैं।
दिनांक 5 अक्टूबर 1880 को भाप इंजन से शुरु हुआ गाजीपुर जनपद का ताड़ी घाट रेलवे स्टेशन आज 141 साल बाद इलेक्ट्रिक इंजन तक पहुंच चुका है। विशेषज्ञों के अनुसार यह रेलवे स्टेशन प्राचीन काल में टेरी घाट के नाम से जाना जाता था, और आजकल इसे ताड़ी घाट के नाम से पुकारा जाता है। इस स्टेशन पर गुलाब की महक की ख्याति सुनकर रवींद्रनाथ टैगोर का भी जिले में आगमन इसी स्टेशन के माध्यम से हुआ था। रविंद्र नाथ टैगोर ने यहां अपने 6 माह के प्रवास के दौरान करीब 28 कविताएं भी लिख डाली थीं। इसके अलावा, स्वामी विवेकानंद का जिले में आगमन भी इसी स्टेशन के माध्यम से हुआ था।
वर्तमान समय में चल रहा है कार्य गाजीपुर जनपद को 'वीर सपूतों की धरती' के नाम से भी जाना जाता है। इसी जिले में गंगा नदी के किनारे ताड़ी घाट रेलवे स्टेशन है, जिसमें एक ट्रेन दिन में तीन बार दिलदारनगर से ताड़ी घाट तक आती और जाती है। 5 अक्टूबर 1880 को तत्कालीन प्रशासक टेरी ने इस रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया था, जिसके नाम पर स्टेशन को 'टेरी घाट' रखा गया था।
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उस समय ताड़ी घाट को जिला मुख्यालय से जोड़ने का प्रस्ताव भी ईस्ट इंडिया कंपनी ने रखा था, जिसके लिए एक 8500 का टेंडर भी किया गया था। लेकिन तब स्वतंत्रता आंदोलन के कारण यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो सका। हालांकि, केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद, उस प्रोजेक्ट को पटेल आयोग में शामिल किया गया, और पटेल आयोग की सिफारिश के अनुसार, पूर्व रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा द्वारा गंगा नदी पर एक ब्रिज बनाकर ताड़ी घाट को जिला मुख्यालय से जोड़ने का कार्य वर्तमान समय में चल रहा है।
गंगा नदी से होता था व्यापार, जिसे जिले के प्रसिद्ध इतिहासकार ओबेदुर रहमान माने जाते हैं और वे अब तक कई पुस्तकें भी लिख चुके हैं। ओबेदुर रहमान बताते हैं कि उस समय स्टेशन का निर्माण व्यवसाय को बढ़ावा देने और अधिक से अधिक राजस्व प्राप्ति के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से किया गया था। क्योंकि पूर्व में व्यवसाय का एकमात्र साधन गंगा नदी थी, जिसमें नाव के माध्यम से व्यापार किया जाता था।
ताड़ी घाट स्टेशन ऐतिहासिक महत्व रखता है। ओबेदुर रहमान ने बताया कि ताड़ी घाट स्टेशन अपने आप में भी ऐतिहासिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस स्थान पर रवींद्रनाथ टैगोर ने गाजीपुर में हो रही गुलाब की खेती की महक को सुनकर यात्रा की थी। एक अंग्रेज लेखक ने अपनी पुस्तक में उल्लेख किया था कि गाजीपुर के हर गली और चौराहे से गुलाब की खुशबू आती है, और इसी खुशबू के प्रभाव में रवींद्रनाथ टैगोर ने गाजीपुर की यात्रा की थी। टैगोर ने गाजीपुर के 6 माह के प्रवास का वर्णन मानसी में भी किया था।
स्वामी विवेकानंद पवहारी बाबा से मिलने आए थे। इतिहासकार ओबेदुर रहमान ने बताया कि इसी स्टेशन पर स्वामी विवेकानंद का भी आगमन हो चुका है। क्योंकि उस वक्त जिले के रहने वाले पवहारी बाबा की ख्याति गाजीपुर ही नहीं, बल्कि देश के अन्य क्षेत्रों में भी थी। स्वामी विवेकानंद भी पवहारी बाबा से मुलाकात के लिए इसी स्टेशन पर आए थे। वह इक्का गाड़ी से गाजीपुर के कुर्था गांव में स्थित पवहारी आश्रम गए थे। हालांकि, कई दिनों के इंतजार के बाद भी पवहारी बाबा से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई थी।
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