पहाड़ों में आ रही लगातार वर्षा के कारण, बीते दस दिनों तक गंगा का जलस्तर घटने के बाद, अब पुनः वृद्धि की ओर प्रस्थान कर चुका है। जलस्तर की वृद्धि के साथ ही गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में किसानों की चिंता बढ़ गई है। जिन किसानों ने धान की खेतों में खाद नहीं डाली थी, वे अब पानी के ठहरने की प्रतीक्षा में हैं। शुक्रवार की सुबह, 58.100 मीटर का जलस्तर दर्ज किया गया।
जिला आपदा विशेषज्ञ अशोक राय ने बताया कि वर्तमान में गंगा का जलस्तर दो सेंटीमीटर प्रतिघंटे की गति से बढ़ रहा है। शुक्रवार की सुबह, 58.100 मीटर का जलस्तर दर्ज किया गया है। हालांकि, वर्तमान में जलस्तर सामान्य से नीचे है, लेकिन पिछले दिनों गंगा के बीच जिन रेती खालियों में पानी का स्तर घट गया था, वह फिर से ऊपर आ रहा है। विकास की चार सीढ़ियां जैसे कि ददरीघाट, कलेक्टर घाट, चीतनाथ घाट भी बढ़ते जलस्तर के कारण डूब गई हैं। इसके साथ ही, तटवर्ती क्षेत्रों में लोगों में भी तनाव बढ़ गया है।
वर्ष 2021 और 2022 में लगातार दो सालों तक होने वाली बाढ़ के कारण, गंगा किनारे के किसानों की बहुत सी पैदावार नष्ट हो गई थी। इस परिस्थिति में, लगातार तीसरे साल की बाढ़ से न जुदने की चिंता आने लगी है। किसानों का कहना है कि यदि इस बार फिर बाढ़ आ गई तो आगे के वर्षों में धान की खेती करना मुश्किल हो सकता है।
61.550 मीटर की चेतावनी: जिला आपदा विशेषज्ञ अशोक राय ने बताया कि जिले में 61.550 मीटर की चेतावनी है। उन्होंने बताया कि 2022 में आई बाढ़ के समय जलस्तर 64.390 मीटर पर पहुंच गया था। वर्ष 2021 में बाढ़ के समय उच्चतम जलस्तर 64.680 मीटर था, और वर्ष 2019 में उच्चतम जलस्तर 64.530 मीटर पर था।