मिशन चंद्रयान-3 ने न केवल देश के लिए बल्कि जिले के लिए भी विशेष महत्व प्राप्त किया है। इसका कारण यह है कि रेवतीपुर के कमलेश शर्मा भी मिशन की टीम में शामिल हो गए हैं। इसके परिणामस्वरूप, जिले के लोग मोबाइल फोन और टेलीविजन चैनलों के माध्यम से चंद्रयान-3 की हर गतिविधि की नजरें रख रहे हैं। उन्होंने चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग के लिए दिन-रात ईश्वर से प्रार्थना करनी शुरू कर दी है।
रेवतीपुर क्षेत्र में बसे तेजमल राय पट्टी के निवासी, अधिवक्ता वेदप्रकाश शर्मा के पुत्र कमलेश कुमार शर्मा, मिशन चंद्रयान-3 की तकनीकी टीम का महत्वपूर्ण सदस्य हैं। उन्होंने गाजीपुर जिले में इंटरमीडिएट तक की विज्ञान शिक्षा प्राप्त की और फिर लखनऊ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन और गणित में पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।
2008 में उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय के इतिहास में सर्वाधिक अंक प्राप्त किए और 10 गोल्ड मेडल से सम्मानित हुए। उन्होंने नेट और गेट पर भी सफलता प्राप्त की और 2010 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने उन्हें गणित विशेषज्ञ के रूप में चुना। उनका चयन देशभर से 12 विशेषज्ञों की सूची में हुआ, जिसमें कमलेश शर्मा भी शामिल थे। उन्होंने 12 अप्रैल 2010 को इसरो में शामिल हो गए।
कमलेश शर्मा ने इसरो के कई सेटेलाइट मिशनों में भाग लिया और अपने कौशल और प्रतिभा का प्रदर्शन किया। मार्स आर्बिटर मिशन (मंगलयान), कार्टोसैट-1, ओशनसैट-2, हैम्सैट, कार्टोसैट-2ए, भारत-फ्रांस संयुक्त उपग्रह, मेघा ट्रोपिक-1 सेटेलाइट जैसे प्रमुख परियोजनाओं में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका योगदान बेंगलुरु के इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाइजेशन के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (इस्ट्राक) में मंगलयान की सफलता के प्रति अत्यधिक प्रशंसा के योग्य था, जिसकी प्रधानमंत्री ने भी स्वीकृति दी थी।
वैज्ञानिक कमलेश शर्मा के पिता, अधिवक्ता वेदप्रकाश शर्मा, मीडिया से साझा किया कि 15 दिन पहले उन्होंने अपने बेटे से बात की थी। उन्होंने बताया कि मिशन चंद्रयान-3 में वे अत्यंत व्यस्त हैं और उनका बेटा उम्मीदवार है कि यह मिशन सफल होगा। वे यकीन दिलाते हैं कि चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग से देश को एक नया कीर्तिमान प्राप्त होगा। कमलेश के परिवार के सभी सदस्य लखनऊ में रहते हैं और उन्होंने मिशन की सफलता के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रखी है।