बलिया, उत्तर प्रदेश में, समान शिक्षा संघर्ष मोर्चा के नेता राधेश्याम यादव ने भारत में समान शिक्षा की मांग को लेकर एक यात्रा आयोजित की। शुक्रवार को, उन्होंने हाथ में कटोरा लिए हुए, आधा सिर मुंडवाया और आधे में बाल बचे रहे। उनका पूरा शरीर जंजीरों में बंधा हुआ था और वे एक ही धोती में अर्धनग्न अवस्था में अपने समर्थकों के साथ बैरिया तहसील मोड़ से शहीद स्मारक तक लगभग दो किलोमीटर की पैदल यात्रा की। वह समर्थकों के साथ शहीद स्मारक पर पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
उन्होंने इस माहौल में कहा कि समान शिक्षा देश में अभी भी पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई है। उन्होंने इसके लिए देश के बड़े नेताओं, आईएएस और पीसीएस अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि समान शिक्षा के बिना देश का विकास संभव नहीं है और समाज में समानता की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने देश के सर्वागीण विकास के लिए समान शिक्षा की आवश्यकता को महत्वपूर्ण बताया। वह इस अवसर पर मेधावियों को उनके अधिकारों की पहचान करने का मार्ग दिखाने का भी उल्लेख किया।
यह विशेष अवसर पर उन्होंने पत्रकारों को बताया कि समान शिक्षा देश में अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं हो पाई है, और इसे बदलने के लिए देश के नेताओं, आईएएस और पीसीएस अधिकारियों की जिम्मेदारी है। उन्होंने बताया कि समान शिक्षा के बिना देश का विकास संभव नहीं है और इसके बिना समाज में समानता की स्थिति महाशय नहीं हो सकती। वे अपने इस संघर्षी दौरान कई बार गिरफ्तार भी हो चुके हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि जब तक समान शिक्षा नहीं होगी, तब तक उन्हें आवाज उठाने का आवश्यकता है। इस अनोखे और साहसी प्रयास में राधेश्याम यादव के साथ नीत कुमार सिंह, प्रोफेसर सुभाष सिंह, सोनू श्रीवास्तव, राहुल यादव, राजा केसरी, दल सिंह, स्वामीनाथ, रवि, श्रीराम और अन्य भी शामिल थे।