सैदपुर नगर के वार्ड संख्या 7 स्थित जौहरगंज घाट से लेकर, सिद्धेश्वर महादेव धाम तक गंगा नदी के किनारे गै बियान कैरेट और जिओ बैग के माध्यम से कटान रोधी तटबंध का निर्माण सिंचाई विभाग द्वारा कराया जा रहा है। जिसे लेकर नदी किनारे रहने वाले लोगों ने नाराजगी जाहिर की है। लोगों का कहना है कि बिना कटान के ही यहां तटबंध बनाया जा रहा है। इसके लिए कटान को रोकने वाली प्राकृतिक ठोस चचरी को भी काट दिया गया है। जो घाट के किनारों को बांधे रखती थी।
गौरतलब है कि सिंचाई विभाग द्वारा सैदपुर नगर में गंगा नदी के किनारे की नगर के जौहरगंज घाट से लेकर, सिद्धेश्वर महादेव घाट तक 450 मीटर की लंबाई में गै बियान कैरेट जिओ बैग तटबंध का निर्माण कराया जा रहा है। जिसमें सरकार के ₹6 करोड़ 20 लाख खर्च होने वाले हैं। इसके लिए हजारों जियो बैग में मिट्टी आदि भरने का कार्य चल रहा है। इसका काम एसपीआरयू कंपनी द्वारा कराया जा रहा है।
प्राकृतिक चचरी को उखाड़ने पर लोगों में नाराजगी
तटबंध के कार्य को लेकर वार्ड के सभासद विनोद सोनकर, कन्हैया यादव, बाबूलाल सोनकर, नंदू यादव आदि ने नाराजगी जाहिर की है। कहा 40 वर्ष पूर्व आई अब तक की सबसे बड़ी बाढ़ से लेकर, आज तक हमारे घाट के किनारे कभी कटान नहीं हुआ। किनारों पर सैकड़ों वर्षों से जमा कठोर चचरी के कारण, नदी के किनारे कटान से सुरक्षित थे। जो अब नहीं रह गए। बिना जरूरत के बनाए जा रहे इस तटबंध के कारण, कड़ी चचरी को जेसीबी से उखाड़ दिया गया।
लोगों ने नहीं की थी कटान रोधी तटबंध बनाने की मांग
वार्ड के लोगों ने कहा अब यहां बोरे में मिट्टी भरकर लगाई जाएगी, जो कुछ ही वर्षों में बेकार हो जाएगी। तटबंध का कार्य भी अब बाढ़ के पहले होना संभव नहीं है। जिससे तटबंध के लिए काटी गई मिट्टी बाढ़ आने पर बह जाएगी। बल्कि अभी यह मिट्टी बारिश में वह कर, नदी में समाती जा रही है। जो हमारे नदी किनारों के लिए, वर्षा और आगामी बाढ़ के दौरान खतरनाक साबित होगी। इससे तो अच्छा होता कि तटबंध का निर्माण पत्थर के बोल्डरों से कराया जाता। जो लंबे समय के लिए स्थाई रहता। यहां तटबंध बनाया जाना सरकारी धन के दुरुपयोग के अलावा कुछ नहीं है। हम लोगों ने कभी कटान की शिकायत कर, यहां तटबंध बनाने की मांग नहीं की।
वीडियो के आधार पर तटबंध बनाने का निर्णय
तटबंध कार्य की निगरानी कर रहे जेई प्रमोद कुमार यादव ने बताया कि वीडियो रिकॉर्डिंग के आधार पर यह तटबंध कार्य कराया जा रहा है। यह कोई जरूरी नहीं कि यहां आज कटान नहीं हो रहा है, तो नहीं होगा। कटान कब शुरू हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता।