सावन के दूसरे सोमवार को गाजीपुर के मंदिरों में शिव भक्तों का तांता देखने को मिल रहा है। इस बार अधिक मास के कारण माह पूरे दो माह का है। सावन मास में भगवान् शिव की पूजा की जाती है, तो अधिक मास में भगवान् विष्णु की पूजा की जाती है।
रविवार की शाम शिव भक्तों ने गंगा में डूबकी लगायी और जल भरा, उसके बाद शिव मंदिरों के लिए निकल पड़े। शिव भक्तों का ताँता ददरी घाट में मार्कण्डेय महादेव बूढ़े महादेव के गंगा घाटों पर देखने को मिला। गाजीपुर के ददरी घाट से शिव भक्तों ने महाहर धाम के लिए सैदपुर के बूढ़े महादेव के पास जाकर रवाना हुए।
मुख्यालय से 25 किमी दूर स्थित महाहर धाम के लिए कांवरियों का जत्था जिले के प्राचीन गंगा घाटों से गंगाजल लेकर रविवार की शाम को ही निकल पड़ा। महाहर धाम की मान्यता है कि इस अद्वितीय शिवलिंग की स्थापना राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए की थी।
यहीं वह तालाब है जहां राजा दयारथ द्वारा श्रवण कुमार को शब्दभेदी बाण लगा था और श्रवण के माता-पिता ने उन्हें श्राप दिया था। इसके बाद ब्रह्मा के आर्शीवाद से राजा दशरथ ने श्राप मुक्ति और पुत्रप्राप्ति के लिए शिवलिंग की स्थापना कर पूजन किया। फलस्वरूप राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। आज यह स्थान शिवभक्तों के लिए बेहद आस्था का केंद्र बना हुआ है।