गाजीपुर के परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं। 1965 की जंग में खेमकरण सेक्टर में अमेरिका के अजेय समझे जाने वाले एक-दो नहीं बल्कि 8 पैटर्न टैंक को आरसीएल गन से उड़ाने के बाद वीरगति को प्राप्त हुए थे। उन्हें मरणोपरांत सेना के सर्वोच्च पदक परमवीर चक्र से नवाजा गया। शहीद अब्दुल हमीद गाजीपुर के धामुपुर गांव में 1 जुलाई 1933 को जन्म लिया था। आज भी लोग उन्हें याद करते हैं।
युवा अन्य नौकरियों में जाने के बजाय आर्मी में शामिल होना पसंद करते हैं
युद्ध में अमेरिका द्वारा निर्मित अजेय समझे जाने वाले पैटर्न टैंक को वीर अब्दुल हमीद ने जीप के ऊपर लगाए गए आरसीएल गन से इस तरह उड़ाया था कि उसके परखच्चे तक पहुंच गए थे। उसी आरसीएल गन का प्रतिरूप गाजीपुर के धामुपुर के शहीद पार्क में पूर्व जनरल विपिन रावत की पहल पर साल 2017 में स्थापित किया गया था। इसका लोकार्पण खुद जनरल विपिन रावत ने गाजीपुर आकर किया था। यह आर्सीएल गन और जीप गाजीपुर के युवाओं में देशभक्ति की भावना को प्रेरित करती हैं। शायद यही कारण है कि यहां के युवा अन्य नौकरियों में जाने के बजाय आर्मी में जाना ज्यादा पसंद करते हैं।
भर्ती सेंटर वीर अब्दुल हमीद का जबलपुर सेंट्रल था
वीर अब्दुल हमीद के पौत्र जमील आलम ने बताया कि उनके दादा का भर्ती सेंटर जबलपुर सेंट्रल था। उस वक्त उस जंग से जुड़ी सभी निशानियां जिसमें आरसीएल गन, टोपी, दूरबीन, गोले का बैग, यूनिफॉर्म के साथ ही साथ उनके हाथों से लिखी चिट्ठियां भी आज भी जबलपुर सेंट्रल के म्यूजियम में सजी हुई हैं और उनकी शोभा को बढ़ाती हैं।
उन्होंने बताया कि उनके दादा द्वारा आरसीएल गन से पैटर्न टैंक को तोड़े जाने की बात को लेकर जिले में कई तरह की भ्रांतियां थीं। उन्हीं भ्रांतियों को दूर करने और युवाओं में एक नया जोश भरने के लिए उनकी दादी स्व. रसूलन बीबी और उनके द्वारा जनरल विपिन रावत से मिलकर मांग किया गया था। जिसके बाद जनरल विपिन रावत ने जीप पर लगे हुए आरसीएल गन का प्रतिरूप देने का वादा किया। ठीक वैसा ही एक आरसीएल गन जबलपुर सेंट्रल से गाजीपुर के लिए भिजवाया, जो आज भी उनके पार्क की शोभा को बढ़ा रहा है।
भारत के आर्मी सेंटर के चौराहे पर लगाए गए अमेरिका निर्मित पैटर्न टैंक
जमील आलम ने बताया कि जब आरसीएल गन आया, तो उसकी सुरक्षा को लेकर टीन शेड और उसके चारों तरफ जाली लगाई गई। बाद में जिला प्रशासन ने उस जीप का चबूतरा भी बनवाया। अब प्रतिवर्ष उनके शहादत दिवस पर जब कार्यक्रम आयोजित होते हैं, तो जीप और गन को देखने के लिए भारी भीड़ इकट्ठा होती है। उन्होंने बताया कि उनके दादा ने तोड़े गए अमेरिका निर्मित पैटर्न टैंक को भारत के आर्मी सेंटर के चौराहे पर लगाए गए हैं। यह टैंक युवाओं और सैनिकों में एक जोश भरने का काम करता है। क्योंकि उस वक्त किसी ने भी नहीं सोचा था कि एक आरसीएल गन जिसकी मारक क्षमता तोप के गोले से भी कम थी। लेकिन उससे पैटर्न टैंक के चैन और नली पर फायर कर उसे नष्ट किया जा सकता है।