हिंदू धर्म में सोलह संस्कारों के बारे में वर्णन किया जाता है, जहां विवाह संस्कार को विशेष महत्व दिया जाता है। आजकल विवाह का मामला संकटमय हो गया है, क्योंकि विवाह नहीं हो पा रहा है या विवाह की उम्र में देरी हो जा रही है। वर-वधू की खोज के साधन बहुत विस्तृत हो गए हैं, लेकिन फिर भी सुयोग्य वर-वधू का मिलना कठिन है। सामाजिक-आर्थिक कारणों के साथ-साथ ज्योतिषीय योग भी विवाह में देरी का एक मुख्य कारण माना जाता है,
इसलिए हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि हम किसी अनुभवी ज्योतिषी के मार्गदर्शन के साथ अन्य सभी उपायों का सहारा लेकर विवाह संबंधी बाधाओं को दूर करें और सुखी वैवाहिक जीवन जीने की दिशा में आगे बढ़ें। इस विशेष ब्लॉग में ज्योतिषी रामचंद्र आमेटा आपको बताएंगे कि जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार शीघ्र विवाह के लिए कौन से उपाय करने चाहिए? चलिए, आगे बढ़ते हैं और विस्तार से जानते हैं।
इस कारण से विवाह में आती है बाधा: Because of this there is an Obstacle in Marriage
कभी-कभी कुंडली में ग्रह-नक्षत्रों की खराब स्थिति का असर वैवाहिक जीवन पर पड़ता है। कुछ लोगों को विवाह में बहुत देरी का सामना करना पड़ता है, जबकि कुछ लोगों को विवाह में बार-बार बाधाएं आती हैं। कुछ लोगों को कुंडली में दोष की कारण से शादी के बाद भी कई परेशानियों से जूझना पड़ता है। कुछ लोगों की कुंडली में ऐसे योग भी होते हैं जिसकी कारण से विवाह में समस्याएं आती हैं।
यदि जन्म कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें, बारहवें भाव में मंगल स्थित हो तो जन्म कुंडली मांगलिक योग से युक्त होती है और विवाह में विलंब होने का यह एक सामान्य कारण बनता है। वहीं जन्म कुंडली के सातवें भाव में चंद्रमा स्थित हो तो भी विवाह होने पर या विवाह होने के बाद समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसके अलावा, जन्म कुंडली में अगर सातवें भाव में बृहस्पति ग्रह स्थित हो तो भी विवाह में विलंब होता है। साथ ही, जन्म कुंडली में सातवें भाव में स्थित शुक्र के कारण भी वैवाहिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यदि सातवें भाव में शनि नीच राशि में या वक्री होते हैं या सिंह राशि में स्थित होते हैं, या सातवें भाव में स्थित सूर्य अपनी नीच राशि में होते हैं या कुंभ या मकर राशि में स्थित होते हैं, तो यह स्थिति भी विवाह में विलंब का कारण बनती है।
शीघ्र विवाह के अचूक उपाय: Surefire Remedies for Early Marriage
- उज्जैन में स्थित मंगलनाथ मंदिर में जाकर 'शांति भात पूजा' करवानी चाहिए, ताकि मंगल के शुभ प्रभाव मिले।
- इसके अलावा, किसी प्राचीन हनुमान मंदिर में मंगलवार को जाकर चोला चढ़ाने से भी मंगल बाधा दूर होती है।
- सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना लाभप्रदान करती है। भगवान शिव का दुग्ध मिश्रित जल से अभिषेक करने पर सातवें भाव में स्थित चंद्रमा की शांति होती है और विवाह संबंधित बाधाएं दूर होती हैं।
- सातवें भाव में स्थित गुरु दोष से छुटकारा पाने के लिए, गुरुवार को या त्रयोदशी के दिन शिव सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए और भगवान शिव का अभिषेक और विधि-विधान से पूजन करना चाहिए।
- पराशर ऋषि ने सातवें भाव में स्थित गुरु चंद्र और शुक्र को केंद्र आधिपत्य दोष की संज्ञा दी है। अतः इन तीनों के उपस्थित होने पर गुरु, शुक्र और चंद्र की अलग-अलग विधि से पूजा करनी चाहिए।
- जब जन्म कुंडली के सातवें भाव में शुक्र स्थित हो, तब शुक्रवार को कच्चे दूध में जल मिलाकर भगवती दुर्गा का या महालक्ष्मी स्वरूप का अभिषेक करना चाहिए और देवी अथर्वशीर्ष स्तोत्रम का पाठ करना चाहिए।
- शनि ग्रह द्वारा निर्मित बाधाओं के निवारण के लिए, शीघ्र विवाह का संकल्प लेकर, सरसों के तेल में केसर मिलाकर, शनिवार और अमावस्या को भगवान शनि को दीप दान करना चाहिए।
- सूर्य द्वारा निर्मित विवाह बाधा की शांति के लिए, रविवार के दिन भगवान विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए।
- इस तरह से सातवें भाव में स्थित ग्रह का विश्लेषण करके, संबंधित ग्रहों के लिए पूजा करनी चाहिए।