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नदियों पर मानसून का असर दिखने लगा, बढ़ने लगा गंगा का जलस्तर

प्रमाण के अनुसार तो आपदा विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार बुधवार की सुबह गंगा का जलस्तर 54.020 मीटर मापा गया। 2022 में बाढ़ का अधिकतम जलस्तर 64.390 मीटर था। इसके एक-दो वर्ष पहले, 2021 में बाढ़ का अधिकतम जलस्तर 64.680 मीटर और 2019 में बाढ़ का अधिकतम जलस्तर 64.530 मीटर मापा गया था। जिले में गंगा का सामान्य जलस्तर 59.906 मीटर है।

एक सप्ताह पहले आए मानसून के प्रभाव का अब नदियों पर भी प्रकट होना शुरू हो गया है। गंगा का जलस्तर प्रति घंटे आधारित रूप से बढ़ रहा है। हालांकि, अभी तक गंगा का पाट पूर्णतया भरा नहीं हुआ है। रेत पड़ने के कारण गंगा अभी भी अनेक घाटों से बहुत दूर है। वहां पहुंचने के लिए लोगों को पांच सौ मीटर से लेकर एक किलोमीटर तक रेत में पैदल चलकर जाना पड़ रहा है।

मापदंड के अनुसार, आपदा विभाग के रिकार्ड में बताया गया है कि बुधवार की सुबह गंगा का जलस्तर 54.020 मीटर मापा गया था। 2022 में बाढ़ का अधिकतम जलस्तर 64.390 मीटर था। एक-दो वर्ष पहले, 2021 में बाढ़ का अधिकतम जलस्तर 64.680 मीटर और 2019 में बाढ़ का अधिकतम जलस्तर 64.530 मीटर मापा गया था।

बाढ़ की स्थिति के मापदंड की बात करें तो जिले में गंगा का सामान्य जलस्तर 59.906 मीटर है। निम्न स्तर 61.550 मीटर है, जो चेतावनी बिंदु भी है। गंगा का मध्य जलस्तर 63.105 मीटर है, जो खतरा बिंदु है। गंगा का उच्च जलस्तर अब तक 65.220 मीटर मापा गया है। अगर ऐसे ही बारिश जारी रहती है और बांध का पानी नहीं छोड़ा जाता है, तो गंगा का पाट भरना भी मुश्किल होगा।

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