ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण की कवायद तेज होने लगी है। एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए बलिया और गाजीपुर मिलाकर 90 प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण होने के बाद उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को पत्रावली दे दी है, लेकिन अभी भी कई स्थानों पर जमीन अधिग्रहण में विवाद है।
कुछ काश्तकारों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। ऐसी शिकायत बैरिया तहसील क्षेत्र में ज्यादा हैं। वहीं कुछ जगह जमीन के दावेदारों में भी आपसी विवाद है। सभी विवादों को निस्तारण करने के लिए एनएचएआइ के अधिकारी तैनात हैं।
विवादों का निस्तारण होने के बाद कार्यदायी कंपनियां निर्माण शुरू कर देंगी। प्रोजेक्ट कारिडोर की कुल लंबाई 134.300 किलोमीटर है। गाजीपुर से मांझी रिविलगंज बाईपास तक इसकी दूरी 117 किलोमीटर है। इसे तीन फेज में बांटकर कार्य होगा।
चौथे फेज बक्सर स्पर तक 17.300 किलोमीटर की अलगाववश है। हालांकि, जमीन के अधिग्रहण में अभी भी कई तरह के विवाद आ रहे हैं। कुछ काश्तकारों को अभी तक जमीन का मुआवजा नहीं मिला है, और कुछ काश्तकारों की खतौनी में भी पेच है।
इस मुद्दे को हल करने के लिए एनएचएआइ के अधिकारी तत्पर हैं। सड़क की चौड़ाई 60 मीटर है और इस एक्सप्रेसवे का निर्माण 5320 करोड़ रुपये में होना है। यह परियोजना हृदयपुर गांव के पास से शुरू होकर छपरा-मांझी एनएच-19 को पार करती है और बिहार की सीमा में नए रिविलगंज बाईपास पर समाप्त होती है।
एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए गाजीपुर में 325 और बलिया में 460 हेक्टेयर, कुल 785 हेक्टेयर जमीन का काश्तकारों से बैनामा कराने का काम पिछले वर्ष से ही चल रहा है।
5320 करोड़ का ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे परियोजना
- फेज-01: ह्रदयपुर से शाहपुर। 42.50 किमी लंबाई।
- फेज-02: शाहपुर से पिंडारी। -35.65 किमी लंबाई।
- फेज-03: पिंडारी से रिविलगंज बाईपास। -38.37 किमी लंबाई।
- फेज-04: बक्सर स्पर। -17.27 किमी लंबाई।