इस कारण जबकि भीषण गर्मी और धूप के बीच अब तक क्षेत्र में कोई भी वर्षा नहीं हुई है, स्थिति चिंताजनक बन गई है। लू और उष्णता के चलते क्षेत्र में दो लोगों की मौत भी हो चुकी है। क्षेत्र के अधिकांश तालाबों में पानी सूख गया है। खेतों की मिट्टी में बड़ी-बड़ी दरारें उभर आई हैं। किसानों को अपने धान की नर्सरी को बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। धान की नर्सरी सूखने की कगार पर पहुंच गई है, जिसने क्षेत्र के किसानों की चिंता को बढ़ा दिया है।
माना जाता है कि हर वर्ष मानसून के पहले जून के आरंभिक हफ्ते या मई के अंतिम हफ्ते में प्री-मानसून के कारण वर्षा होती थी। यह क्षेत्र के किसानों के धान की नर्सरी को बहुत लाभ पहुंचाती थी। साथ ही, इसके परिणामस्वरूप क्षेत्र के अधिकांश तालाबों को पूरी तरह सूखने से भी बचाया जा सकता था।
इस हल्की-फुल्की बरसात से खेतों में कुछ हरी घास अभी भी बची रहती थी। इससे किसानों के पशुओं को चारा की कमी नहीं होती थी। लेकिन इस बार जून माह अब तक क्षेत्र में कोई वर्षा नहीं हुई है। जिससे किसानों को चिंता हो रही है।
इससे अब क्षेत्र के किसानों और पशुपालकों की समस्या धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। अधिकांश तालाबों में पूरी तरह सूख चुका है। भीषण गर्मी के कारण खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें उभर आई हैं। किसानों को धान की नर्सरी को बचाए रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। जिन किसानों के पास अपने सिंचाई स्रोत हैं, उनका काम भीषण गर्मी के दौरान भी जारी है। लेकिन जिनके पास निजी सिंचाई के साधन नहीं हैं, उनमें नर्सरी में पानी के लिए आपातता छा गई है।
बुधवार को आसमान में बादलों की गरजन सुनकर किसानों के मन में एक किरण उम्मीद जगी है। लोगों को गर्मी से थोड़ी राहत मिली है। हालांकि, क्षेत्र के किसानों का कहना है कि जब तक बारिश नहीं होती, तब तक धान की नर्सरी को बचाए रखना मुश्किल हो रहा है। बारिश के बाद ही धान की नर्सरी को दूसरे खेतों में बोने के लिए अनुकूल स्थान मिलेगा। पानी की कमी के कारण, हर किसान की खेती को पंप के माध्यम से सिंचाई करना संभव नहीं है। वनस्पति और पशुपालक किसानों के लिए अब वर्षा की प्रतीक्षा अत्यावश्यक है।