जिला पंचायत के राजस्व को बढ़ाने के लिए शासन द्वारा वैभव कर की जा रही है। गाजीपुर में इस वैभव की वसूली में अधिकारियों और कर्मचारियों की बड़ी लापरवाही देखने को मिली है। विभागीय अधिकारियों ने जिला पंचायत क्षेत्र में व्यवसायों का पंजीकरण कर दिया है। इसके बाद टैक्स की वसूली नहीं की गई और न ही व्यवसायियों को इसके बारे में सूचित किया गया। अचानक सभी व्यवसायियों को 5 साल के टैक्स की वसूली के लिए नोटिस भेज दिया गया है। नोटिस प्राप्त होते ही व्यवसायियों ने जिला पंचायत कार्यालय पर पहुंचकर विरोध जताया है।
जिला पंचायत कार्यालय में पहुंचे व्यवसायियों ने बताया कि उन्हें जिला पंचायत द्वारा 5 साल के बकाए टैक्स की वसूली के लिए नोटिस मिला है। इसमें प्रत्येक पर 15000 से लेकर 30000 के बकाए की नोटिस जारी की गई है। इसने इन दिनों व्यवसायियों के लिए परेशानी का कारण बना दिया है। ये लोगों ने क्षेत्रीय जिला पंचायत सदस्य के साथ जिला पंचायत कार्यालय में जाकर नोटिस के संबंध में अपनी शिकायत दर्ज कराई है।
दरअसल, जिला पंचायत गाजीपुर का कार्य ग्रामीण इलाकों में विकास करना होता है। इसलिए शासन द्वारा जिला पंचायत के आर्थिक स्रोतों को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है और यह टैक्स व्यवसायों पर लागू किया जाता है।
शासन से दबाव पड़ने पर भेजा गया नोटिस
जिला पंचायत सदस्य कमलेश यादव ने बताया कि वार्षिक टैक्स की राशि 750 रुपये से लेकर 6000 रुपये तक होती है। इसी के चलते जिला पंचायत द्वारा ग्रामीण इलाकों के दुकानदारों का पंजीकरण भी किया गया था, लेकिन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इतनी लापरवाही करते हैं कि 2018 से अब तक इस टैक्स की वसूली नहीं की गई है। जब शासन द्वारा दबाव पड़ा, तब विभाग के उपमुख्यालय के द्वारा सभी दुकानदारों को नोटिस भेज दिया गया है।
कुछ इंस्पेक्टरों की लापरवाही से वसूली नहीं हुई
उपमुख्यालय के अधिकारी सुजीत कुमार मिश्रा ने बताया कि शासन द्वारा 2 करोड़ 51 लाख रुपये का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। 2.80 करोड़ रुपये की वसूली पहले से ही हो चुकी है। इनके विभाग के कुछ इंस्पेक्टरों की लापरवाही के कारण पिछले 5 सालों में वसूली नहीं हुई है। इसके कारण इन लोगों को नोटिस भेजा गया है। इस मामले में उन इंस्पेक्टरों के खिलाफ विभाग की तरफ से कार्रवाई की जा रही है।