भदौरा रेलवे स्टेशन पर यात्री मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे हैं। टूटी पड़ी पानी पीने की टोटियों व सूखे पड़े नलों को दुरुस्त कराने पर ध्यान नहीं दिया है, जिससे यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वही प्रतिदिन करीब 1500 लीटर पानी यूं ही प्लेटफार्म पर बह जा रहा है। जिसकी रेल विभाग को तनिक भी फिक्र नहीं है।
मौसम में परिवर्तन होते ही प्यास का एहसास होने लगा है। खासतौर से थोड़ा चलने, धूप में बैठने, भीड़ के बीच रहने इत्यादि जैसी परिस्थिति में गला सूखने पर पानी की आवश्यकता महसूस हो रही है। यह आवश्यकता रेलवे स्टेशन पर महसूस होने पर यात्री पानी के लिए भटक रहे हैं, लेकिन उन्हें पीने का पानी काफी देर से मयस्सर हो रहा है। वजह यह है कि यहां पानी के साधन अस्त-व्यस्त पड़े हैं। टोटियां गायब हैं तो स्टेशन पर लगे नल सूख पड़े हैं। इनकी यह स्थिति काफी दिनों से है, लेकिन कोई ध्यान देने को तैयार नहीं है। रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या एक और दो पर कुल 14 टोटिया लगाई गई है इसमें से अधिकतर टोटिया टूटी गई है। जिससे निरंतर पानी गिरता रहता है।
सरकार जल संरक्षण को लेकर करोड़ों रुपए से गांव-गांव जगह-जगह तालाब व पोखरा खुदवा रही है। रेल विभाग के अधिकारी इसके प्रति पूरी तरह बेपरवाह बने रहते हैं। स्टेशन के प्लेटफार्म पानी चौबीसों घंटे बहता रहता है। पानी वाले स्थान पर सफाई भी नहीं होती जिससे दुर्गंध वातावरण बना रहता है। स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ भाड़ अधिक होती है। और ऐसे में उन्हें शुद्ध पेयजल नहीं मिल पा रहा है। जिससे उन्हें काफी परेशानी झेलनी पड़ रही है। वही क्षेत्र के अलावा बिहार प्रांत के लोग भी ट्रेन पकड़ने के लिए भदौरा रेलवे स्टेशन पर आते हैं। यात्रियों ने बताया कि यहां पर हमेशा पानी गिरता रहता है।