सरकार एक तरफ जहां ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन के लिए बेहतर परिवहन सेवा को लेकर गंभीर हैं, वहीं महकमें की उदासीनता के चलते सरकार की यह योजना फ्लाप साबित हो रही है। बिहार को जोड़ने वाली ताड़ीघाट- बारा हाइवे पर दशकों से संचालित परिवहन निगम की सेवा अब इतिहास बनकर रह गया है। इसके लिए जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों के द्वारा उपेक्षा समझ से परे हैं।
मालूम हो कि इस महत्वपूर्ण मार्ग पर एकमात्र रोडवेज बस का संचालन पिछले कई दशकों से हो रहा था, लेकिन इस दौरान मार्ग की बेहद खस्ताहाल और उसके नवनिर्माण को देखते हुए 2016 से इस बस का संचालन बंद हो गया। वर्ष 2019 के जून माह में इस मार्ग का सीसी तकनीकी के जरिए निर्माण पूरा हो गया, तो लगा कि शायद अब लोगों को इस एकमात्र परिवहन सेवा का नियमित तरीके से संचालन हो सकेगा।
इसी दौरान हमीद सेतु के बेयरिंग क्षतिग्रस्त होने से इसका संचालन बंद कर दिया गया था। महीनों तक मरम्मत कार्य चलने और इसके पूरा होने के बाद सेतु के दोनों तरफ लोहे का हाइटगेज वैरियर लगा दिया गया। इसके बाद से ही इसका संचालन पूरी तरह से ठप है, जबकि खुद एनएचएआई के मुताबिक पुल से भारी वाहनों को छोड़कर अन्य रोडवेज, सवारी छोटी और बड़ी बस, चार पहिया ट्रैक्टर आदि अन्य हल्के वाहनों के लिए संस्तुती दे दी।
प्रशासन के द्वारा हाइटगेज वैरियर की उंचाई मानक से काफी कम किए जाने से रोडवेज बस का संचालन नहीं हो पा रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि इसके लिए निश्चित जनप्रतिनिधियों से लगायत अन्य अधिकारी जिम्मेदार है। इस संबंध में एआरएम वीके पांडेय ने बताया कि पुल के दोनों तरफ लगे लोहे के हाइटगेज वैरियर बस के संचालन में रूकावट बन रहा है।