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माँ कामाख्या देवी मंदिर गहमर, कैसे पहुँचे जिला गाज़ीपुर

भारत के यूपी राज्य के पूर्वांचल में जनपद गाज़ीपुर आज किसी भी परिचय का मोहताज नही हैं। यहाँ की संस्कृति और धार्मिक स्थल बहुत ही अच्छा है, किसी का ध्यान अपनी ओर प्रभावित करने के लिए मशहूर हैं। आज हम जिस मंदिर के बारे में बात करने वाले हैं, वह मंदिर किसी शक्तिपीठ से कम नही हैं। यह मन्दिर हिन्दू सनातन धर्म की एक परम्परागत का पहचान हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में मिर्ज़ापुर में स्थापित शक्तिपीठ माता विंध्याचल देवी (विंध्यवासिनी देवी) का मंदिर है इस मंदिर के बाद यदि दूसरा मंदिर मनोकामना पूर्ति वाला 'माँ कामाख्या देवी' का मंदिर हैं, इस मंदिर को 'कमइच्छा माई'  के नाम से भी जानते है।

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माँ कामख्या धाम मंदिर गहमर गाज़ीपुर 

गाज़ीपुर जिले/Ghazipur District का प्राचीन इतिहास कई प्रसिद्ध ऋषि और मुनियों की तपोभूमि से जुड़ा हैं, जिसमें जमदग्नि ऋषि, ऋषि विश्वामित्र, परशुराम ऋषि, राजा गाधि और कण्व ऋषि जैसे महान व्यक्तित्व वाले महापुरुषों की स्थली भूमि हैं, तो वही दूसरी ओर अनेक साधुओं, संतो और महात्माओ की कर्मभूमि भी हैं। गाज़ीपुर जनपद के क्षेत्रों में जगह- जगह पर कई साधु संतों में नागा बाबा, गंगाराम दास बाबा, पवहारी बाबा, मौनी बाबा जैसे प्रसिद्ध संतो और साधुओं ने अपना आश्रम भी यही स्थापित हैं। इस जिले में बहुत से महापुषों का जन्म भूमि रहा हैं। 

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आज हम आप को इस लेख में गाज़ीपुर के एक प्रसिद्ध मंदिर के बारे में हैं, जहाँ साल भर भक्तों और श्रद्धालुओं का माता दर्शन करने के लिए काफ़ी तांता लगा रहता हैं। वैसे गाज़ीपुर जिला से आपके प्रिय संदीप कुमार शर्मा यानी मेरा गृह जिले भी हैं, तो जनपद के बारे में मैं आपको विस्तृत रूप से जानकारी बता सकता हूँ। तो चलिए फिर हम बिना किसी देर के आपको इस मंदिर का विधिवत रूप से दर्शन कराता हूँ-

माँ कामाख्या देवी धाम मन्दिर

यह माता का मंदिर आदिशक्ति माँ भवानी दुर्गा माता को समर्पित हैं। पुरानी मान्यताओं और पुराणों के अनुसार माँ कामाख्या देवी को सिकरवार वंशीय राजपूतों की कुल देवी के रूप में बताया गया हैं। नवरात्रि के समय नौ दिनों तक यहाँ मेला का आयोजन किया जाता हैं। वैसे इस मंदिर में हज़ारों लोग प्रतिदिन दर्शन करने आते हैं। यह मंदिर यूपी के गाज़ीपुर जिले में सेवराई तहसील क्षेत्र/Sewrai Tehsil Area के अंतर्गत करहिया नामक गांव में स्थित हैं।

इस मंदिर के पास ही एक तालाब बना हुआ हैं, जिसके चारों तरफ सीढ़ियां बनी हैं  जहाँ भक्त स्नान आदि भी कर सकते हैं और इस मंदिर परिसर तालाब को दुर्घटना से बचाने के लिए चारों तरफ जालिया लगी हैं। वन विभाग उत्तर प्रदेश के सौजन्य से मंदिर के समीप एक छोटा सा पार्क भी ही बना हुआ हैं। इस मंदिर का नव निर्माण हो चुका हैं। मंदिर के परिसर को बहुत ही अच्छे ढ़ग से बनाया गया हैं। मुख्य रूप से माँ कामख्या की मूर्ति केंद्र में हैं जबकि मंदिर परिसर में अन्य देवी और देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित हैं।

माता के दर्शन करने का समय

मंदिर प्रतिदिन मुख्य पुरोहित के द्वारा सुबह के 4:30 बजे भोर में मंगला आरती पूर्ण करने के बाद ही मंदिर के कपाट, भक्तों को माता के दर्शन के लिए खोल दिया जाता हैं और दोपहर में 12:30 बजे के बाद पुनः बन्द कर दिया जाता हैं। इसके बाद 2:30 बजे के मंदिर के कपाट भक्तों के लिए पुनः खुल जाता हैं। रात्रि के 9:30 बजे मंदिर आरती के बाद मंदिर को बन्द कर दिया जाता हैं।

मंदिर में प्रसाद

माता के प्रसाद के लिए लाल चुनरी, नारियल, लाल गुड़हल की माला और इलायची दाना होता है और सुहागन औरतें श्रृंगार के सामान जैसे कि सिंदूर, साड़ी, चूड़ी, बिंदी, वस्त्र इत्यादि भी पूजा अर्चना करने के साथ माता के चरणों में अर्पण करती हैं। ध्यान दे - नारियल को मन्दिर के गर्भगृह में नही फोड़ा जाता हैं बल्कि मंदिर के कपाट से बाहर निकल कर उचित स्थान पर फोड़ा जाता हैं।

मन्दिर गहमर ग्राम के नज़दीक हैं

माँ कामख्या धाम मन्दिर गहमर ग्राम से मात्र 5 से 6 किलोमीटर की दूरी पर करहिया गांव में स्थित हैं। आपने सही पहचाना "गहमर" ग्राम वही गहमर हैं, जहां हर घर में पैदा होते हैं सोल्जर, जिसे भारत का ही नही एशिया का बड़ा गांव कहलाता हैं। गहमर/Gahmar ग्राम गंगा नदी के पावन तट के किनारे बसा प्राचीन गांव में से एक हैं। इस ग्राम से आगे पूर्व दिशा की ओर जाने पर कर्मनाशा नदी को पर करते ही बिहार बॉडर आरम्भ हो जाता हैं।

यह ग्राम मुख्य रूप से "सैनिकों के गांव" के रूप में प्रसिद्ध हैं। यहाँ कस्बे जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं जैसे की इस गांव में दो पोस्ट ऑफिस, दो UBI बैंक, एक SBI बैंक, एक HDFC बैंक, 10 से भी अधिक एटीएम, एक पंचायत भवन और सार्वजनिक लाइब्रेरी भी है। गहमर गांव का अपना रेलवे स्टेशन भी हैं, जो नई दिल्ली, पण्डित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन, पटना और हावड़ा रेल मार्ग पर स्थित हैं। वैसे गाज़ीपुर जिले के एक गांव धामूपुर के शहीद वीर अब्दुल हमीद का नाम तो आप ने सुना होगा, तो ऐसे योद्धा के गृह जनपद में घूमना और अनेक स्थानों का दौरा करना अपने आप में एक गौरव की बात हैं।

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माँ कामख्या धाम मन्दिर कब जाये

आप इस मंदिर में साल के किसी भी माह में जा सकते हैं। हाँ इतना जरूर कहेंगे कि साल में पड़ने वाले दोनों नवरात्र में अर्थात वासंतिक नवरात्र और शारदीय नवरात्र में यहाँ मेला का आयोजन किया जाता हैं। नवरात्र के समय में यहाँ भी अत्यधिक मात्रा में भीड़ होती हैं, तो यदि आप भीड़भाड़ नही पसंद करते हैं, तो आप नवरात्र के  समय मन्दिर में दर्शन करने से बचे। बाकी यदि आप नवरात्रि के पावन अवसर पर माता का दर्शन करना चाहते हैं, तो आप को दो से तीन घण्टे में दर्शन हो जायेंगे।

माँ कामख्या धाम मन्दिर कैसे पहुँचे

माता का यह मंदिर सड़क, रेल और हवाई, तीनो प्रकार से जुड़ा हुआ हैं। अगर ट्रेन मार्ग की बात करें, तो यह नई दिल्ली, दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन, पटना और हावड़ा मुख्य रूट पर स्थित हैं। माँ कामख्या मंदिर जाने के लिए सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन है जो की करहिया हाल्ट के नाम से जाना जाता हैं, लेकिन इस स्टेशन पर केवल पैसेंजर ट्रेन का ठहराव हैं। इसलिए सबसे नज़दीक के रेलवे स्टेशन में भदौरा स्टेशन है जी की मंदिर से 5 किलोमीटर की दुरी पर है और यहां से गहमर की दुरी 6 Km हैं। इसके इलावा अन्य नज़दीक रेलवे स्टेशन में दिलदारनगर जंक्शन/Dildarnagar Junction है जो कि माँ कामख्या धाम मन्दिर से 14 किलोमीटर कि दुरी पर है जबकि ज़मानिया रेलवे स्टेशन 25 किलोमीटर कि दुरी पर स्थित हैं। इन सभी रेलवे स्टेशन पर प्रमुख मेल, एक्सप्रेस और राजधानी ट्रेन का ठहराव हैं।

बिहार राज्य में बक्सर नाम का रेलवे स्टेशन भी है जो कि बड़े रेलवे स्टेशन में शुमार हैं। इस स्टेशन से भी आसानी से माता के मंदिर आया जा सकता हैं। यह से सड़क मार्ग की बात करें तो गाज़ीपुर और बारा राज्य मार्ग के किनारे से मात्र 200 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। सड़क के किनारे माता कामख्या के नाम का बहुत ही बड़ा सा गेट बनाया गया हैं, ताकि न्यू और पुराना भक्त आसानी से मंदिर आ सके। माता कामख्या मंदिर पर जाने के लिए गाज़ीपुर जिले से सीधे बस की सुविधा भी हैं या तो आप ज़मानिया, दिलदारनगर, भदौरा, गहमर और से भी सीधे बस या टेम्पो से पहुँचा जा सकता हैं।

इस मंदिर में अधिकतर श्रद्धालु या तो निजी साधन से यहाँ आते हैं या फिर टैक्सी, बस और ऑटो बुक करके आते हैं। अगर नज़दीकी हवाई सेवा की बात करें तो बाबतपुर हवाई अड्डा जो कि वाराणसी में स्थित हैं। इस एयरपोर्ट से माँ कामख्या मंदिर की दूरी लगभग 100 किलोमीटर हैं। हवाई अड्डा से आपको निजी साधन या टैक्सी या फिर ट्रेन किसी भी माध्यम से जो आपके अनुकूल हो, से मंदिर जाने की यात्रा शुरू कर सकते हैं।

इस प्रमुख स्थानों से माँ कामख्या मंदिर की दूरी

ज़मानिया से- 25 किलोमीटर,  गाज़ीपुर से- 27 किलोमीटर, चंदौली से- 62 किलोमीटर, वाराणसी से- 93 किलोमीटर, सासाराम से- 75 किलोमीटर, भभुआ से- 62 किलोमीटर, लखनऊ से- 345 किलोमीटर, पटना से- 151 किलोमीटर  और बक्सर से- 26 किलोमीटर  की दूरी पर हैं। 

माँ कामख्या मन्दिर के पास रुकने का स्थान 

मन्दिर परिसर पर ही धर्मशाला और लॉज बने हुए हैं, लेकिन अधिकतर भक्त मंदिर में आ कर माता का दर्शन करने के बाद अपने- अपने घर और गांव को वापस चले जाते हैं। यदि कुछ भक्तों एवं श्रद्धालुओं का प्लान गाज़ीपुर जनपद में के आस-पास घूमना विचार होता हैं तो वे सभी भक्त गाज़ीपुर शहर में रुक सकते हैं। इस शहर में सस्ते और महंगे सभी प्रकार के होटल, लॉज और धर्मशाला इत्यादि की अच्छी सुविधा मिल जायेगी।

मन्दिर परिसर के समीप खान-पान की व्यवस्था
इस मंदिर में भक्तों और श्रद्धालुओं की सभी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए यहाँ मंदिर के समीप खाने- पीने से सम्बंधित सभी प्रकार की वस्तुओं के बिक्री की दुकानें लगी हैं। यहाँ प्रमुख दुकानों में जैसे कि फल, चाय, नाश्ते, मिठाइयां और लंच इत्यादि के साथ ही माता के प्रसाद की बहुत सी दुकान यहाँ मिलेगी और साथ ही साथ बच्चों के खिलौने और मूर्तियों की दुकान भी खूब मिलेगी। आप को इस मंदिर परिसर में देशी स्टाइल का रेस्टोरेंट, ढाबा या फ़ास्ट फूड से अपनी जरूरत के अनुसार खाद्य पदार्थ खरीद सकते हैं। 

इस मंदिर में भोजन करने के लिए अच्छा भोजनालय मिलेगा। अगर लंगर की बात करें, तो फिलहाल इस परिसर में ऐसी कोई व्यवस्था देखने को नही मिलती हैं लेकिन मंदिर परिसर में भण्डारे का आयोजन समय- समय पर किया जाता हैं। यहाँ पर जो भी दुकान आपको देखने को मिलेगी वो यही के स्थानीय लोगों के द्वारा ही संचालित की जाती हैं, तो आप लोगो से इतना जरूर अनुरोध है कि इन दुकानों से कुछ न कुछ समान जरूर खरीदे क्योंकि इन लोगों के आजीविका का यही साधन अर्थात इनकी दुकान ही हैं।

माँ कामख्या मन्दिर के नज़दीक घूमने के स्थान
जब आप मंदिर में माँ कामख्या का दर्शन कर ले और आपके पास 1 से 2 दिन का टाइम हैं तो आप यहाँ से कुछ और भी अन्य स्थानों का दर्शन कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आप के पास अपना निजी साधन होना चाहिए या फिर आप कोई टैक्सी या ऑटो बुक करके भी घूम सकते हैं।

ज़मानिया में बाबा परशुराम मंदिर
माँ कामख्या मंदिर से इस स्थान की दूरी लगभग 28 किलोमीटर की हैं। ज़मानिया क्षेत्र के हरपुर गांव में परशुराम मंदिर स्थित हैं।

सायर माता मंदिर दिलदारनगर 
माँ कामख्या धाम से केवल 14 किलोमीटर की दूरी पर दिलदारनगर रेलवे स्टेशन/Dildarnagar Railway Station के दो रेल पटरियों की बिच में है सायर माता मंदिर का मंदिर जो कि यह जागता मंदिर स्थित हैं, तो यदि आप इस क्षेत्र में आते है तो इस मंदिर में  भी दर्शन जरूर करें।

माँ मुंडेश्वरी धाम मंदिर, भभुआ बिहार 
कामख्या मंदिर से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो कि बिहार राज्य के भभुआ जनपद में स्थित माँ मुंडेश्वरी देवी का मन्दिर पहाड़ पर स्थित हैं, यह मंदिर अपने कई चमत्कार के कारण प्रसिद्ध हैं।

राजदरी-देवदरी वाटरफॉल, जनपद चंदौली
माँ कामख्या मंदिर से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर चंदौली जनपद के चकिया तहसील में स्थित राजदरी-देवदरी प्राकृतिक जलप्रपात है जो कि आप  इस वाटरफॉल को आप अपने ट्रिप में भी शामिल कर सकते हैं। यह उत्तर प्रदेश राज्य के पूर्वांचल का एकलौता वाटरफॉल हैं, जो आपको बेहद पसंद आयेगा।

माँ कामख्या मंदिर से वाराणसी की दूरी 
माँ कामख्या के मंदिर से लगभग 90 से 100 किलोमीटर की दूरी पर गंगा नदी के तट में स्थित वाराणसी शहर जिसका प्राचीन नाम काशी हैं जी कि आप यह भी घूम सकते हैं। यह शहर मंदिरों और घाटों का एक नगर हैं। यहाँ आप काशी विश्वनाथ मंदिर/Kashi Vishwanath Temple के दर्शन कर सकते है जो कि यहा द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक ज्योर्तिलिंग हैं और साथ ही सारनाथ में भी घूम सकते हैं।

अगर आपको माँ कामख्या मंदिर के बारे में जानकारी अच्छी लगी तो आप इस प्रकार कि अच्छी जानकारी के लिए दिलदारनगर डॉट कॉम के साथ बने रहे और अपने जनपद की जानकारी के लिए आप इस वेबपेजे को फेलो करे। डेली अपडेट के लिए दिलदारनगर/Dildarnagar के सोशल मीडिया पेज है जैसे कि फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम को फेलो करें सकते हैं। थैंक यू सो मच!!! 

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