हेलो दोस्तों क्या आप गहमर/Gahmar के बारे में जानना चाहते है तो आप बिल्कुल सही वेबसाइट पर आये है तो आइये जानते है गहमर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के गाजीपुर जिले/Ghazipur District में गंगा नदी के पास स्थित एक गांव है। यह गांव यूपी का सबसे बड़ा गांव है। यह गांव ग़ाज़ीपुर जिला मुख्यालय से लगभग 38 किलोमीटर की दुरी पर है। यह गांव एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा गांव है जो पटना और दीन दयाल उपाध्याय रेल मार्ग पर स्थित है। इस गांव को "सैनिकों का गांव" भी कहते है। गहमर गाँव के पश्चिम दिशा में कमइच्छा माई का मंदिर स्थित है।
ग़ाज़ीपुर जनपद/Ghazipur Janpad के इस ग्राम के हर घर में देशभक्ति का जज्बा और हर नौजवान युवा के दिल में सोलजर बन कर देश की सेवा करना है। इसी बजह से इस गांव को फौजियों का गांव के नाम से जानते है। ग़ाज़ीपुर जिले का गहमर गांव जहाँ कई पीढ़ियों के लोग देश सेवा के लिए फौजी बनना यहाँ एक परम्परा बन चुकी है। इस गांव का हर युवा आज भी फौजियों के इस परम्परा की विरासत को पूरे जिम्मेदारी से निभा रहे है। फौजियों का यह गांव एशिया का सबसे बड़ा गांव है। इस बड़े गांव में हर घर में एक फौजी गांव की शान बढ़ा रहा है। "हर करम अपना करेंगें ऐ वतन तेरे लिए। दिल दिया है जान भी देंगें ऐ वतन तेरे लिए"। यूपी के इस गांव की फिजाओ में हर पल हर घर में शायद यही लफ्ज गूंजते हैं।
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इस गांव में दो पोस्ट ऑफिस, तो UBI बैंक, एक SBI बैंक, एक HDFC बैंक, 10 से भी अधिक एटीएम, एक पंचायत भवन और सार्वजनिक लाइब्रेरी भी है। गहमर की भूमि, हवा और पानी भी देशभक्ति के प्रति देश सेवा के जज्बे के पूरी तरह को पूरी तरह अपने में समेटे हुये है। यही कारण है कि गहमर गांव/Gahmar Village का हर शख्स के लिए प्रथम कार्य होता है जो फौजी बनकर देश कि सेवा करना। इस गांव के खेत-खलिहान, गलियां, बाग बगीचे और गंगा नदी के तट पर भी हर जगह युवा फौजी में भर्ती के लिए जीतोड़ मेहनत करते दिखाई देते है। इस गांव का हर युवा के दिल में फौजी में भर्ती हो कर देश के लिए सब कुछ न्योछावर का देने का एक जज्बा उन्हे एक मिशाल बनाता है।
गहमर गांव का इतिहास- Gahmar Village History
गहमर गांव सिकरवार राजपूतों द्वारा बसाया गया था, जो 1527 ईस्वी में बाबर के द्वारा जब फतेहपुर सीकरी को जीता तो उसके आसपास से आए धम देव सिकरवार के वंशज में से एक थे। फतेहपुर सीकरी से पूर्व दिशा की ओर आगे बढ़ते हुए, शुरू में वे दोनों सक्रादीह में एकत्रित हुए थे लेकिन बाढ़ कि वजह से धम देव गहमर के पास मां कामाख्या देवी धाम मे रह गये कहा जाता है कि धम देव के दो बेटे थे। एक का नाम रूप राम राव और दूसरे का नाम दीवान राम राव था। रूप राम राव के एक बेटे सैनु मल राव और उनके वंशज भी बड़े हिस्से में जनपद ग़ाज़ीपुर के गहमर गांव में बस गये।
गहमर में 22 पट्टियों में बंटा हुआ है। ऐतिहासिक और पुराने दस्तावेज बताते है कि वर्ष 1530 में कुसुम देव राव ने सकरा डीह नामक जगह पर गहमर गांव बसाया था। गहमर में ही प्रसिद्ध माँ कामाख्या देवी मंदिर भी है जो जो पूर्वी यूपी समेत बिहार के लोगों के लिए आस्था का बड़ा केन्द्र है। इस मंदिर को कमइच्छा माई के नाम से भी जानते है इस मंदिर में माँ कामाख्या के दर्शन के किये भक्तो कि लम्बी लाइन लगती है।
विश्व युद्ध में 21 सोलजर वीरगति को प्राप्त हुये थे
गहमर गांव वाले माँ कामाख्या देवी के अपनी कुल देवी मानते है। गहमर गांव में लगभग हर घर में एक लोग फौजी में कार्यरत है। देश सेवा के अपना सबसे बड़ा फर्ज मानते है। इस गांव के औसतन हर घर फौजियों की तस्वीरें, सेना के मेडल और वर्दियां इस गांव कि कहानी को खुद बयान कर देती है। वर्तमान में गहमर गांव 12 हजार से अधिक सैनिक है जो कि भारतीय सेना में अलग-अलग पदों पर कार्यरत हैं। जबकि गहमर ग्राम में 15 हजार से ज्यादा भूतपूर्व सैनिक भी गांव में रहते हैं। ह्या के लोग बताते है कि सैन्य सेवा को लेकर इस की ये परम्परा प्रथम विश्व युद्ध से आरम्भ हुई और द्वितीय विश्व युद्ध में गहमर के 226 फौजियों अंग्रेजी सेना में शामिल थे। जिसमें से 21 सोलजर वीरगति को प्राप्त हुये थे।
गहमर गाँव का जनसांख्यिकी
सन 2011 की जनगणना के अनुसार, गाँव कि कुल जनसंख्या 25 हजार 994 थी, जिसमे से 13 हजार 627 पुरुष थे और 12 हजार 627 महिलाएं थीं। जबकि 0 से 6 वर्ष के आयु की लगभग जनसंख्या 3 हजार 650 थी। गहमर में कुल साक्षर लोगों की संख्या 17 हजार 108 थी जो जनसंख्या का 65.8% बनाती थी। यहाँ पर पुरुषों की शिक्षा दर 74.0% और महिलाओं की शिक्षा दर 57.1% थी। गहमर गाँव 8 वर्ग मील में फैला हुआ है।
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गहमर गाँव के इंटरेस्ट के स्थान
गहमर गाँव ग़ाज़ीपुर जिला मुख्यालय से लगभग 38 किलोमीटर की दुरी पर है इस स्थान पर घूमने की कुछ प्रमुख जगह इस प्रकार है जैसे की...
- माँ कामाख्या मंदिर, गहमर
- नारायण घाट
- मनभद्र महादेव मंदिर, शिव के सबसे पुराने मंदिरों में से एक
निष्कर्ष
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