एक तरफ प्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर निरंतर चिंता कर रहीं है। सरकार का प्रयास है कि हर नागरिक को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा मिले। इसके लिए सरकार प्रति वर्ष बजट में बढोत्तरी भी कर रही है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधा की स्थिति कुछ और है। जबकि सरकार चाहती है कि हर नागरिक को सरकारी अस्पताल में डॉक्टर की मौजूदगी में अच्छा इलाज मिले। खासकर गरीब तबके के लोग जो अभाव के कारण निजी अस्पतालों में अपना इलाज कराने में सक्षम नहीं होते। उन्हें बीमारी के इलाज के लिए यहां वहां न भटकना पड़े।
विकासखंड सादात के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भीमापार के सरकारी अस्पताल की कहानी इससे विपरीत है। दरअसल यहां के अस्पताल में पिछले चार माह से डॉक्टर ही नहीं हैं, जिससे मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा हे। ऐसे में यहां आने वाले मरीज अपने इलाज के लिए फार्मासिस्ट और वार्ड ब्वाय के भरोसे हैं। इस स्वास्थ्य केंद्र के भरोसे भीमापार न्याय पंचायत के दर्जनों गांव के ग्रामीण हैं। इसके पहले यहां जिस डॉक्टर की तैनाती थी, वो अब अपना ट्रान्सफर कराकर दूसरी जगह चले गए हैं। इसके बाद से आज तक केंद्र में किसी डॉक्टर की नियुक्ति नहीं हुई है।
स्थानीय लोग डॉक्टर की तैनाती के लिए क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि से लेकर विधायक और सांसद से भीे मांग कर चुके हैं। इसके बाद भी अभी तक इस संबंध में किसी जनप्रतिनिधि ने पहल नहीं की। भीमापार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को गोद लिए पूर्व जिला उपाध्यक्ष रघुवंश सिंह पप्पू ने बताया कि सीएमओ से बात हुई है। सीएमओ ने बताया कि जनपद में डाक्टरों की कमी है। जल्द ही किसी डॉक्टर की तैनाती कर दी जायेगी।
आनंद कुमार, सुदामा, सिनोद विश्वकर्मा, रमाशंकर और दीपक समेत क्षेत्रीय ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भीमापार के सरकारी अस्पताल में एक प्रशिक्षित डॉक्टर की तैनाती जल्द की जाए।