यूपी-बिहार को जोड़ने वाला कर्मनाशा पुल क्षतिग्रस्त होने से इस पर भारी वाहनों का आवागमन बंद कर दिया गया है। ऐसे में वाहनों को 40 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ रहा है। उधर, इससे क्षेत्र में भवन निर्माण सामग्री महंगी हो गई है। कर्मनाशा नदी पर 1979 में पुल बनाया गया था।
छह माह पहले पुल के क्षतिग्रस्त होने पर जिला प्रशासन की अनुमति पर भारी वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पुल पर वाहनों को निकलने से रोकने के लिए हाइट गेज लगाने के साथ ही पुलिस कर्मी 24 घंटे निगरानी कर रहे हैं। भारी वाहनों के आवागमन पर रोक से अब उन्हें देवल स्थित कर्मनाशा पुल के रास्ते बारा, गहमर पहुंचने के लिए 40 किलोमीटर चक्कर लगाना पड़ रहा है।
ऐसे में ट्रकों से बारा, गहमर आने वाली लाल बालू, गिट्टी, डस्ट व सीमेंट आदि भवन निर्माण सामग्री महंगी हो गई है। ऐसे में 25 हजार रुपये प्रति ट्रक बिकने वाले लाल बालू का रेट 55 से 60 हजार रुपये हो गया है। 20 एमएम गिट्टी 50 रुपये से बढ़कर 60 रुपये प्रति फिट हो गई है। सरिया का दाम भी भाड़े के कारण बढ़ा हुआ है।
मेराज खान, योगेंद्र यादव, विकास राय आदि भवन निर्माण सामग्री विक्रेताओं ने बताया कि जब तक पुल की मरम्मत नहीं होगी तब-तक भवन निर्माण सामग्री पर महंगाई छाई रहेगी। एनएचआई के अवर अभियंता घनश्याम पांडेय ने बताया कि पुल की मरम्मत के लिए बजट मिल चुका है। टेंडर प्रक्रिया पूरी कराई जा रही है। बारिश से पहले पुल की मरम्मत कर भारी वाहनों का आवागमन शुरू करा दिया जाएगा।