पूर्वांचल को गैंगवार की आग में झोंकने वाली 38 वर्ष पूर्व की गई बाहुबली त्रिभुवन सिंह के पिता रमापति सिंह की हत्या के आरोपी हरिहर सिंह को गाजीपुर न्यायालय द्वारा शनिवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। इसके साथ ही न्यायालय द्वारा आरोपी पर 1 लाख का जुर्माना भी लगाया गया। साथ ही यह भी आदेश दिया गया कि यदि अपराधी जुर्माना जमा नहीं कराता है, तो उसकी सजा में 1 वर्ष सश्रम कारावास की सजा बढ़ा दी जाए।
गौरतलब है कि जनपद में गैंगवार की नीव उस वक्त पड़ी, जब सैदपुर के मुड़ियार गांव निवासी मकनु सिंह और त्रिभुवन सिंह के पिता रंपत सिंह के बीच गांव की एक जमीन को लेकर विवाद हो गया। जिसमें ट्रैक्टर से खेत जोतने के दौरान दोनों पक्ष आपस में भिड़ गए। इस दौरान मौके पर त्रिभुवन सिंह के पिता रंपत सिंह की हत्या कर दी गई। जिसमें गांव निवासी साधु सिंह, मकनू सिंह सहित नंदगंज थाना क्षेत्र के बरहट गांव निवासी हरिहर सिंह को नामजद आरोपी बनाया गया। इस घटना के बाद रंपत सिंह के पुत्रों में बदला लेने की भावना भड़क गई।
घटना के बाद रंपत सिंह की हत्या के आरोपी मकनु सिंह और साधु सिंह सहित 4 लोगों की हत्या कर दी गई। जिसमें रंपत सिंह के पुत्र त्रिभुवन और उनके भाइयों के साथ पहली बार बृजेश सिंह का नाम प्रकाश में आया। इसके बाद रंपत सिंह के पुत्र त्रिभुवन सिंह के भाई पुलिस हवलदार वीरेंद्र सिंह और राजेंद्र सिंह की भी हत्या कर दी गई। इस घटना में एक पक्ष की नजदीकी बृजेश सिंह से बढ़ी, तो दूसरे पक्ष की नजदीकी मुख्तार अंसारी से बढ़ गई।
इसकी बाद तो दोनों गैगों के बीच आए दिन गैंगवार होने लगे। गाजीपुर सहित पूरा पूर्वांचल गैंगवार की आग में झुलसने लगा। इस गैंगवार में पुलिस रिकॉर्ड अनुसार लगभग 2 दर्जन लोगों की हत्या कर दी गई। एक समय स्थिति यह हो गई कि दोनों परिवारों की महिलाओं की मांग से उजड़ता हुआ सिंदूर देख, परिवार तो परिवार मुड़ियार गांव में भी लोग अपनी बेटियों की शादी करने से कतराने लगे। आपसी रंजिश से शुरू हुआ यह खूनी खेल, आगे चलकर वर्चस्व की लड़ाई में बदल गया। जिसमें कई और लोगों की हत्या हुई।