गाज़ीपुर के जखनिया के धामुपुर गांव से लेकर कस्बे तक लोग छुट्टा पशुओं से परेशान हैं। छुट्टा पशु खेतों में जहां फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, वहीं सड़कों पर डेरा जमाकर सुगम राह में गतिरोध पैदा कर रहे हैं। हालत यह है कि रात के अंधेरे में सड़कों पर संभल कर नहीं चलें तो छुट्टा पशुओं से टकराना तय है।
प्रशासन की ओर से बनाए गए अस्थायी गोवंश आश्रय स्थलों से लोगों को उम्मीदें थी कि इनसे निजात मिलेगी पर ऐसा हो नहीं पाया। छुट्टा पशु अभी भी लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं।
ग्रामीणों क्षेत्रों में गेहूं आदि की फसले खेतों में लहलहा रही हैं, जिसे दिनरात छुट्टा पशु रौंद रहे हैं। जिससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है। उन्हें अब खेतों की रखवाली भी करनी पड़ रही है। प्रशासन की ओर से छुट्टा पशुओं को पकड़कर गोवंश आश्रय स्थलों में रखने के सख्त फरमान के बावजूद किसानों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। फसल से किसानों को काफ़ी उम्मीद रहती है, लेकिन छुट्टा पशु पिछले कई सालों से उनकी उम्मीदों पर पानी फेर रहे हैं।
जूगु सिंह, सरवन सिंह, नीरज सिंह, मुसाफिर चौहान, इंद्रजीत चौहान, कपिलदेव प्रजापति, बिहारी राम, समाजसेवी अनिकेत चौहान का कहना है कि छुट्टा पशु झुंड बनकर खेतों में घुस जाते हैं और नुकसान पहुंचाते हैं। धामुपुर गांव के समाजसेवी अनिकेत चौहान ने ट्वीट कर इसकी शिकायत मुख्यमंत्री और जिलाधिकारी से की है। फसलों की सुरक्षा के लिए किसान खेत के चारों ओर कटीले तार लगा देते हैं। बावजूद इसके जानवर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। क्षेत्र में घूमने वाले पशुओं का झुंड रात के समय सड़कों पर डेरा जमा लेते हैं। इनमें काले रंग के पशु अंधेरे में दिखाई नहीं पड़ते हैं और दुर्घटना का कारण बन जाते हैं।