गाजीपुर जिले के जमानियां क्षेत्र के ढढ़नी गांव स्थित चंडी माता मंदिर में तीन दिवसीय संगीतमय रामकथा का भव्य शुभारंभ हुआ। इस दौरान बाल कलाकारों ने प्रभु राम के लीला की भव्य झांकी निकाली। जिसे देख श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। इस दौरान रामकथा का अमृत पान कराते हुए भगवताचार्य चंद्रेश महाराज ने कहा कि सम्पूर्ण समर्पण, अनुराग और भाव से ही भगवान को पाया जा सकता है।
कथा वाचक ने कहा कि मैया शबरी न तो बहुत धनवान थीं और न ही किसी ऊंचे कुल खानदान में ही जन्मी थीं। उनके पास यदि कुछ था तो अपने गुरू का दिया हुआ मंत्र, भगवान के प्रति अगाध स्नेह और प्रतीक्षा। इसी रास्ते पर चलकर माता शबरी ने भगवान को पा लिया। उन्होंने कहा कि शबरी को भगवान को खोजने के लिए कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ी। बल्कि भगवान स्वयं चलकर उनकी कुटिया में पहुंचे और प्रेम से अर्पित जूठे बेर की सराहना कर बार बार मांग कर खाते हैं।
उन्होंने कहा कि द्वापर युग में जब श्रीकृष्ण का अवतार हुआ तो हस्तिनापुर में दुर्योधन को समझाने गये हैं कि पांडवों को उनका हिस्सा दे दो और पूरा नहीं तो पांच गांव ही दे दो। लेकिन घमंडी दुर्योधन ने यह कहते हुए भगवान का प्रस्ताव ठुकरा दिया कि पांच गांव क्या मैं बिना युद्ध के सुई की नोंक के बराबर भूमि भी पांडवों को नहीं दूंगा।
जब भगवान लौटने लगे तब दुर्योधन ने भगवान से प्रार्थना किया कि आज आप हमारे यहां भोजन कर लीजिए। भगवान ने दुर्योधन का निमंत्रण अस्वीकार करते हुए कहा कि भोजन तो मेरा विदुर जी की कुटी पर होगा और विदुर जी के यहां केले के छिलके को प्रेम से सराहते हुए छककर खाया।
कथा वाचक ने कहा कि कहने का तात्पर्य यह है कि भगवान को केवल प्रेम ही प्यारा है। इस अवसर पर बुच्चा महाराज, सत्येन्द्र महाराज, यजमान भैरवनाथ राय सहित अन्य भारी संख्या में महिला, पुरूष श्रद्धालु मौजूद रहे।