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गाजीपुर के रेवतीपुर में 54 परिषदीय स्कूलों में नहीं चल पाई स्मार्ट क्लास

गाजीपुर के रेवतीपुर में 54 परिषदीय स्कूलों की कक्षाओं को स्मार्ट क्लास में तब्दील किया जाना था। शासन ने इसके लिए आदेश जारी किए थे। इसके बावजूद अभी तक स्मार्ट कक्षाओं का संचालन शुरू नहीं हो पाया है।

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शासन की ओर से इंटीग्रेटेड स्कीम फार स्कूली शिक्षा यानि प्रोजेक्टर टैबलेट के माध्यम से स्कूलों में पढाई का उद्देश्य है। पूरे ब्लाक में 104 परिषदीय स्कूलों है,जिनमें से पांच माह बाद भी अब तक महज 50 विद्यालयों को स्मार्ट क्लास के रूप में तब्दील किया जा सका है।

प्रोजेक्टर से पढ़ाए जाएंगे

शेष 54 को भी इस मुहिम से जोडने की दिशा सफल होती नहीं दिख रही है, महकमें के अनुसार इसका मुख्य उद्देश्य बेहतर व आसान तरीके से डिजिटल प्रोजेक्टर तरीके से निजी स्कूलों की तर्ज पर पढाई का उद्देश्य है। स्मार्ट क्लास में प्रोजेक्टर पर कक्षा एक, दो व तीन के बच्चों को गणित व विज्ञान जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं। यू ट्यूब चैनल पर मौजूद इन विषयों से जुड़े आकर्षक वीडियो प्रोजेक्टर पर दिखाए जाते हैं।

बीएसए बोले-जल्द शुरू होंगी कक्षाएं

कक्षा चार व पांच तथा उसके ऊपर की कक्षाओं से जुड़े वीडियो एनसीईआरटी द्वारा तैयार किए जाते हैं, उसे भी बच्चों को दिखाया जाता है। इसके साथ ही शिक्षक अपने प्रोजेक्ट बनाकर भी बच्चों को पढ़ाते हैं। इसके तहत छात्र भी प्रोजेक्टर पर आकर हाथ से इशारा कर मात्रा, फलों के नाम, अक्षरों की मिलावट आदि पढ़ते हैं। स्मार्ट क्लास बनाने के लिए प्रोजेक्टर के साथ लैपटॉप, कंप्यूटर, म्यूजिक सिस्टम व प्रिंटर आदि की व्यवस्था करनी पड़ती है। बेहतर प्रोजेक्टर को लगाने में 55 से 60 हजार रुपये खर्च होता है। मालूम हो कि शासन के द्वारा छात्र संख्या के हिसाब से प्रति विद्यालय 10 हजार से लेकर 75 हजार रूपये मिले है। बीएसए हेमंत राव ने बताया कि बहुत जल्द ही शेष अन्य विद्यालयों को स्मार्ट क्लास के रूप में तब्दील कर वहां आधुनिक तरीके से पढाई शुरू कर दिया जायेगा।

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