गाजीपुर में कर्मचारी महासंघ ने सरकार के खिलाफ भरी है। उनका आरोप है कि प्रदेश के कर्मचारी इन दिनों इतिहास के सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं। उस पर जिम्मेदारियां पहले से अधिक बढ़ा दी गई हैं, लेकिन अधिकार लगातार छीने जा रहे हैं। यह बातें शनिवार को बालेंदु त्रिपाठी ने कहीं।
बुढ़ापे की लाठी पेंशन का लाभ हासिल करने के लिए जल्द ही आर-पार का संघर्ष किया जाएगा। महासंघ के प्रान्तीय अध्यक्ष रामलाल यादव के निर्देश पर जिला इकाई का चुनाव और पुनर्गठन 13 जनवरी को किया जाना है। इसके लिए कर्मचारी सक्रिय हो गये हैं।
सड़क पर उतरने का किया आह्वान
कर्मचारियों को बताया जा रहा है कि केन्द्र और राज्य सरकार पुरानी पेंशन नीति बहाली को तैयार नहीं है। कर्मचारी अपने अधिकारों के लिए सचेत हों, पुरानी पेंशन नीति लागू करने की मांग को लेकर चरणबद्ध ढंग से आन्दोलन चलाया जाएगा। 2023 में पुरानी पेंशन बहाली की जोरदार मांग की जाएगी। आवश्यकता पड़ने पर कर्मचारी सड़क पर भी उतरने को मजबूर होंगे। कर्मचारियों ने कहा कि अगर नेताओं को नई पेंशन स्कीम इतनी ही अच्छी लग रही है तो अपने ऊपर लागू कर लें।
सांसद/विधायक अपने पर लागू करें स्कीम
कहा कि विधायक और सांसद खुद इतनी अधिक पेंशन ले रहे हैं। कर्मचारियों पर नई पेंशन स्कीम थोपी गई है। कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग कर रहे हैं। जब तक की मांग पूरी नहीं होगी वे पीछे भी नहीं हटेंगे। राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड व पंजाब में पुरानी पेंशन नीति बहाल हो चुकी है। इस दौरान अनिल त्रिपाठी, कृष्णा नन्द यादव, रंगनाथ सिंह, उमेश कुमार, प्रदीप, चन्दन सोनकर, अमित कुमार, गोरख सिंह यादव आदि मौजूद रहे।
मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं-
राज्य कर्मचारीयों को केन्द्र की भांति भत्ते, पंडित दीन दयाल उपाध्याय कैसलेश सुविधा, बाबुओं का वेतन विसंगति दूर करने, रसोईया को राज्य कर्मचारी का दर्जा देने, संविदा कर्मियों को समायोजित करने, आशा बहुओं, पीआरडी, आगनबाड़ी, ग्रामीण चौकीदार, आदि को न्यूनतम 24000 एवं राज्य कर्मचारी का दर्जा देने के साथ ही चतुर्थ श्रेणी की नियुक्ति खोलने की मांगें मुख्य हैं।