Type Here to Get Search Results !

Recent Gedgets

Trending News

गाजीपुर के सैदपुर में कुछ दिनों से गंगा नदी में दुर्लभ डॉल्फिन ने डाला डेरा

सैदपुर नगर क्षेत्र स्थित गंगा नदी बीते कुछ दिनों से नगर और क्षेत्रीय लोगों में दुर्लभ डाल्फिन को देखने के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। नदी में इन बड़ी बड़ी डाल्फिन्स को देखने के लिए, सुबह शाम गंगा घाटों पर लोग पहुंच रहे हैं। जो इन्हें देखने के साथ-साथ इनके डुबकी लगाने की वीडियो भी फिल्म बनाते दिखाई दे रहे हैं। लेकिन प्रशासनिक स्तर पर तालमेल की कमी से नदी में शिकार करने वाले मछुआरों की नाव के इंजन की आवाज और जाल, इस विलुप्त प्राय संरक्षित जीव के लिए बड़ी समस्या बने हुए हैं।

people-are-making-videos-after-reaching-the-ghats-the-risk

बीते लगभग 2 सप्ताह से गंगा नदी के किनारे, क्षेत्र के फुलवारी गांव से लेकर पटना गांव तक एक दर्जन से ज्यादा डॉल्फिन का झुंड नदी में गोते लगाते हुए दिखाई दे रहा है। क्षेत्र में सोंस के नाम से जानी जाने वाली इस डॉल्फिन को देखने के लिए, नगर के विभिन्न घाटों पर लोग अपने बच्चों और परिवार के साथ पहुंच रहे हैं। लेकिन नदी में दिन रात चलने वाली इंजन वाली नाव के आने जाने से इनका झुंड प्रभावित हो रहा है। इसके साथ ही नदी में काफी अंदर तक डाले गए मछुआरों के जाल भी इसके स्वतंत्र रूप से नदी में घूमने फिरने में बाधा बने हुए हैं।

अपनी सुपर पावर से सब कुछ देखती है डाल्फिन

मीठे पानी की डॉल्फिन, मछली नहीं बल्कि एक स्तनधारी जीव है। इनके आंखों की देखने की क्षमता लगभग पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। यह अल्ट्रा सोनिक तरंगों से इकोलोकेशन और सूंघने की अपार क्षमताओं से अपने रास्ते और भोजन की तलाश करतीं हैं। यह एक स्तनधारी जीव है। जिनकी औसत लंबाई लगभग 8 स्वीट और वजन लगभग 150 केजी होता है। मादा की औसत लम्बाई नर डोल्फिन से अधिक होती है। इसकी औसत आयु लगभग 28 वर्ष रिकार्ड की गयी है। यह 2 से 3 वर्ष में सिर्फ एक बच्चे को ही जन्म देती है। जिसका गर्भ काल 9 से 11 महीने तक का होता है। पानी में इसकी रफ्तार 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है। इसे पानी का बाघ भी कहा जाता है।

विलुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में दर्ज है गंगा नदी की डाल्फिन

गंगा नदी की डॉल्फिन को विलुप्त प्राय प्राणियों की श्रेणी में रखा गया है। वर्तमान में भारत में इनकी संख्या लगभग 2 हजार से भी कम रह गयी है। जिसका मुख्य कारण गंगा का बढ़ता प्रदूषण, बांधों का निर्माण एवं शिकार है। इनका शिकार मुख्यतः तेल के लिए किया जाता है। जिसे अन्य मछलियों को पकड़ने के लिए चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है। इंटर्नेशनल यूनियन ऑफ़ कंजर्वेशन ऑफ़ नेचर भी इन डॉल्फिनों को विलुप्त प्राय जीव घोषित कर चुका था।

प्रोजेक्ट डॉल्फिन के तहत सैदपुर में बनेगा वॉच टावर

हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 5 अक्टूबर को राष्ट्रीय डॉल्फिन दिवस के रूप में नामित किया गया है। जो इस वर्ष से प्रतिवर्ष मनाया जाएगा। केंद्र सरकार ने नदी के स्वस्थ परितंत्र को दर्शाने वाले इस जीव के संरक्षण के लिए, प्रोजेक्ट डॉल्फिन को लॉन्च किया है। जल शक्ति मंत्रालय एवं उत्तर प्रदेश पर्यावरण विभाग ने भटक जाने वाली गंगा नदी की डॉल्फिन के संरक्षण के लिए, एक गाइड भी निर्गत की है। एक सप्ताह पूर्व इनके संरक्षण हेतु प्रोजेक्ट डॉल्फिन अंतर्गत, प्रशासन ने सैदपुर के तटवर्ती इलाके में डॉल्फिन वॉच टावर बनवाने पर विचार कर रहा है। कुछ दिनों पूर्व वन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने इसके निर्माण को लेकर, कुछ स्थानों का निरीक्षण भी किया है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad