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गाजीपुर में संभावित कोविड-19 के मद्देनजर हुआ मार्क ड्रिल का आयोजन

गाजीपुर जिला अस्पताल स्थित कोविड-19 वार्ड का वाराणसी के जेडी डीबी सिंह की अध्यक्षता में मॉकड्रिल किया गया। जिसमे ऑक्सीजन प्लांट, कोविड-19 वार्ड, कोविड-19 जांच सेंटर के साथ ही मरीजों के लिए लगे वेंटिलटर का भौतिक सत्यापन किया गया और यह देखा गया कि इमरजेंसी की स्थिति में यह सब कितना कारगर है। यह अलग बात रही कि मॉकड्रिल खत्म होते ही कोरोना वार्ड के वेंटिलेटर रूम के दरवाजे को जंजीरों के सहारे ताला लगाकर बंद कर दिया गया। वही वेंटिलेटर के तमाम उपकरण एक जगह इकट्ठा रखे हुए भी पाए गए। ऐसे में प्रशासन के दावे की पोल खुलती नजर आ रही है।

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जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ राजेश सिंह ने बताया कि ऑक्सीजन प्लांट के क्रियाशीलता के बारे में चेक किया गया। साथ ही ऑक्सीज प्लांट को चेक किया गया कि पाइप लाइन में ऑक्सीजन कि सप्लाई की सप्लाई किस तरह से हो रही है। वेंटिलेटर की क्रियाशीलता को भी परीक्षण किया गया । उन्होंने बताया कि कोविड-19 के संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर जनपद को कुल 69 वेंटिलेटर प्राप्त हुए थे। जो कार्यरत स्थिति में है इन सभी वेंटिलेटर को चलाने के लिए 9 कर्मचारी भी विभाग को मिले हैं।

अब टेस्टिंग बढ़ाए जाने का निर्देश

4 एनेस्थेटिक डॉक्टरों की नियुक्ति भी कर दिया गया है। आरटी पीसीआर से कोविड-19 की जांच जो पहले 600 से 700 हुआ करती थी लेकिन मौजूदा स्थिति में टेस्टिंग घटने की वजह से डेढ़ सौ से 200 हो रहा था लेकिन अब टेस्टिंग बढ़ाए जाने का निर्देश प्राप्त हुआ है।

वेंटिलेटर रूम के दरवाजे जंजीरों के सहारे ताला लगाकर बंद

वाराणसी से आये ज्वाइंट डायरेक्टर द्वारा मॉक ड्रिल किए जाने के बाद कोरोना वार्ड के वेंटिलेटर रूम के दरवाजे जंजीरों के सहारे ताला लगाकर बंद कर दिए गए। वही वार्ड के एक हिस्से में वेंटिलेटर के उपकरण इकट्ठा रखे पाए गए। ऐसे में अस्पताल प्रशासन के सभी वेंटिलेटर क्रियाशील होने के दावे की पोल खुलती नजर आ रही है।

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