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गाजीपुर के सैदपुर में बच्चों पर चढ़ा पतंगबाजी का जुनून

आगामी मकर संक्रांति त्योहार के 2 सप्ताह पूर्व से ही सैदपुर में पतंगबाजो की धमाचौकड़ी बढ़ गई है। बच्चे आसमान निहारते हुए, बेतहाशा गलियों और सड़कों पर भागते हुए दिखाई देने लगे हैं। पतंग लूटने और उड़ाने के चक्कर में आए दिन बच्चे खतरनाक प्रतिबंधित चाइनीस मांझे से उंगलियाँ कटने तथा छतों और सीढ़ियों से गिरकर घायल हो रहे हैं। हर तरफ बिखरे उलझे हुए चाइनीज मांझा राहगीरों के लिए भी मुश्किल बनते जा रहे हैं।

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सैदपुर में वर्षों से मकर संक्रांति पर पतंगबाजी की परंपरा चली आ रही है। इसके करीब आते ही बड़ी संख्या में बच्चे और लोगों पर पतंगबाजी का नशा चढ़ने लगता है। बाजार में पतंग की दुकान गुलजार होने लगतीं हैं। आगामी 14 जनवरी को मकर संक्रांति का त्यौहार जैसे-जैसे करीब आता जा रहा है, वैसे वैसे आसमान में उड़ते हुए पतंग की संख्या बढ़ती जा रही है। छत पर पतंग उड़ाते बच्चों की आवाजें तेज होती जा रही हैं। ऐसे में बच्चे ठंड का शिकार भी हो रहे हैं।

बच्चे जोखिम उठाकर लूट रहे हैं पतंग स्कूल जाना जाने के बना रहे हैं बहाने

कटी पतंग लूटने के लिए बच्चे हाथ में कटीले डंडे लेकर, जहां-तहां दौड़ते और झगड़ते दिखाई दे रहे हैं। पतंग के चक्कर में बच्चे अपने अभिभावकों से हर दिन स्कूल ना जाने के नए नए बहाने बनाने लगे हैं। बच्चों की धमाचौकड़ी और भागदौड़ से परेशान अभिभावक लगातार उन्हें डांटते दिखाई दे रहे हैं, लेकिन बच्चों पर कोई असर होता दिखाई नहीं दे रहा है। बच्चों के अभिभावक भले ही उन्हें कितना भी पतंग क्यों न दिला दें, लेकिन वह जोखिम उठाकर पतंग लूटने का कोई मौका चूक नहीं रहे हैं।

पहले लोग खुद बनाते थे, प्रकृति के अनुकूल काटन का मांझा

10 वर्ष पूर्व तक सैदपुर में परंपरा अनुसार मकर संक्रांति पर पतंगबाजी के लिए बड़ी संख्या में लोग, खुद कॉटन के धागे तैयार किया करते थे। काटन के धागे के ऊपर चावल, शीशे का चूरा, आलारोट, और गोंद से तैयार लुगदी की कोटिंग कर, मांझा तैयार किया जाता था। फिर इस धागे से पतंग को जोड़कर, उसे काफी दूर और ऊंचाई तक उड़ाया जाता था। ताकि मांझा अच्छी तरह से सूख जाए।

वहीं कुछ लोग बाजार से रेडीमेड मांझा भी खरीदते थे। कॉटन के इन्हीं धागों और कागज की पतंग से सभी लोग मकर संक्रांति के समय पतंगबाजी किया करते थे। मकर संक्रांति के बाद यह धागे और पतंग स्वत: ही कुछ दिनों में सड़कर, नष्ट हो जाया करते थे। इस तरह प्रकृति के साथ अनुकूलता भी बनी रहती थी।

प्रतिबंध के बावजूद, धड़ल्ले से बिक रहा है खतरनाक चाइनीज मांझा

बीते 10 वर्षों से पतंगबाजी के लिए बड़ी संख्या में पतले सिंगल यूज प्लास्टिक की पतंग और खतरनाक बेहद मजबूत प्लास्टिक के चाइनीज मांझे का प्रयोग किया जाने लगा हैं। जिससे आए दिन दुर्घटनाएं भी हो रही हैं। इससे बच्चों के हाथों में गंभीर कट लग रहे हैं। कई राहगीर भी गले में इस धागे की उलझने से मारे भी जा चुके हैं।

पेड़ों में उलझे इन धागों में फंसकर, बड़ी संख्या में पक्षियों को भी अपनी जान गंवानी पड़ रही है। जिसको देखते हुए न्यायालय ने भी इस खतरनाक मांजे की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है। बावजूद इसके खुलेआम इन प्रतिबंधित धागों की खरीद और बिक्री बेरोकटोक जारी है।

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