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सड़कों पर सरपट भाग रहे अनफिट वाहन, राहगीरों की जान लेने पर आमादा कंडम वाहन

क्योंकि दौड़ती-भागती सड़कों पर हर जान बचाना जरूरी है...। इस संकल्प के साथ महाभियान शुरू किया है, ताकि सड़क दुर्घटनाएं कम से कम हों। अभियान के तहत मीडिया की टीम ने जब पड़ताल की तो सरकारी आंकड़े चौंकाने वाले मिले। जिले में निजी, व्यावसायिक, स्कूली व सरकारी वाहनों की कुल संख्या करीब आठ लाख है, लेकिन परिवहन विभाग की नजर में सिर्फ 240 वाहन ऐसे हैं जिनका फिटनेस फेल है जबकि सच्चाई यह है कि सड़कों पर देखें तो आपकी आंखों के सामने से गुजरने वाले प्रत्येक 10 वाहनों में से एक कंडम दिखता है। कई मामलों में तो नए वाहन भी सुरक्षा उपकरणों का मानक पूरा नहीं करते। सीट बेल्ट लगाने में चालक लापरवाही बरतते हैं, सो अलग। यही वजह है कि सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।

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नियमः ऐसे बनता है फिटनेस प्रमाण पत्र

फिटनेस प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए वाहनों की हालत सही होनी चाहिए। इसमें लगने वाली हेड लाइट, बैक लाइट, पार्किंग लाइट, कलर रिफ्लेक्टर आदि चेक किया जाता है। चेक करने की जिम्मेदारी एआरटीओ कार्यालय के आरआइ संतोष कुमार पटेल को दी गई है। इन्हें जिम्मेदारी दी गई है कि सभी वाहनों को चेक करेंगे, तभी फिटनेस प्रमाणपत्र जारी करेंगे।

सचः 4,700 रुपये देने पर जारी हो जाता फिटनेस

मीडिया की टीम वाहन मालिक बनकर परिवहन विभाग के कार्यालय पहुंची। वहां कार्यालय के आसपास घूम रहे लोगों से पूछताछ की। तभी एक युवक आया और बताया कि वाहन का फिटनेस बनवाना है तो हमारे पास आइए। कहा कि कुल 4,700 रुपये लगेंगे, आप दे दीजिए फिटनेस प्रमाणपत्र बन जाएगा। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वाहनों के फिटनेस को लेकर विभागीय अधिकारी कितने जिम्मेदार हैं।

फिटनेस जांच का नहीं कोई संसाधन

परिवहन कार्यालय के पास फिटनेस चेक करने के लिए कोई संसाधन भी नहीं है। आंखों के भरोसे ही वाहनों की फिटनेस का काम चल रहा है। जिनको फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाना है, वह एआरटीओ कार्यालय अपना वाहन लेकर आते हैं। इसके बाद आरआइ सभी मानकों की जांच स्वयं कर उसकी फोटो विभाग के पोर्टल पर अपलोड करते हैं। उसके कागजों को चेक करते हैं और फिटनेस जारी करते हैं। यहां कोई उपकरण नहीं है, जिससे वाहनों की वास्तविक फिटनेस जांच हो सके।

यातायात पुलिस, एआरटीओ प्रवर्तन व पीटीओ करते हैं चेकिंग

जिले में फिटनेस फेल वाहनों की चेकिंग एआरटीओ प्रवर्तन, पीटीओ और यातायात पुलिस करती है। पीटीओ पूरे दिन सड़क पर ही रहते हैं और ऐसे वाहनों को रोककर कार्रवाई करते हैं। अकेले पीटीओ ने नवंबर माह में अब तक करीब 175 फिटनेस फेल वाहनों के खिलाफ कार्रवाई कर चुके हैं।

79 में सिर्फ 35 वाहनों में मिली एंटीफाग लाइट

सर्दी के मौसम में कोहरे का खतरा बढ़ जाता है, इसमें एंटीफाग लाइट काफी कारगर होती है। जागरण की टीम इसकी पड़ताल करने जमानियां तिराहा पहुंची। यहां टीम करीब आधे घंटे तक रही। इस दौरान निजी, व्यावसायिक व स्कूल के 79 वाहन गुजरे। इनमें से मात्र 35 वाहनों में ही एंटीफाग लाइट मिली।

जिले में वाहनों की संख्या

व्यावसायिक : 7000

नान कामर्शियल : 7,00,000

फिटनेस नहीं कराने वाले वाहन : 125

स्कूली वाहन : 901

सरकारी वाहन : 165

फिटनेस के लिए वाहनों को जारी नोटिस : 115

क्रैस टेस्ट रेटिंग नहीं किसी को जानकारी

जिले में किसी को भी क्रैस टेस्ट रेटिंग के बारे में जानकारी नहीं है। यही कारण है कि शो-रूम में जब लोग वाहन खरीदने जाते हैं इसके बारे में पूछताछ नहीं करते है। केवल माडल देखकर गाड़ी खरीद लेते हैं। जबकि प्रत्येक माडल का क्रैस टेस्ट रेटिंग होता है। इसमें बताया जाता है कि दुर्घटना के वक्त वाहनों की कार्य क्षमता क्या होती है। इसी के आधार पर माडल का रेटिंग होता है। महिंद्रा शो-रूम के मैनेजर एके सिंह ने बताया कि ना के बराबर लोग इसके बारे में पूछते हैं। हालांकि हम लोग इसके बारे में बताते हैं।

किसी वाहनों का फिटनेस तभी होता है, जब वह कार्यालय के सौ मीटर के परिधि में

प्रत्येक कार्य आनलाइन हो गया है। किसी वाहनों का फिटनेस तभी होता है, जब वह कार्यालय के सौ मीटर के परिधि में हो। इसके प्रत्येक कागजों को चेक करने के साथ ही वाहनों की स्थिति को देखा जाता है, जो मानक निर्धारित हैं। उसकी फोटो अपलोड किया जाता है। मैं स्वयं वाहनों को चेक करने के साथ ही कागजों को भी चेक करता हूं। यहां कोई संसाधन नहीं है। हालांकि शासन की ओर से इस पर पहल की जा रही है।

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