चक बाकर रजेला में डाला छठ की तैयारियां शुरू हो गई है। गांव में स्थित पोखरे की साफ सफाई में गांव के पुरुष और महिला जुट गए हैं। पोखरे के आसपास उग आयी घासों की सफाई की जा रही है। गांव से पोखरी की ओर आने वाले रास्तों की भी साफ सफाई डाला छठ को देखते हुए प्रस्तावित है।
ग्राम प्रधान प्रतिनिधि सुजीत तिवारी ने बताया कि लोक आस्था का पर्व डाला छठ उनके गांव में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। छठ व्रतियों को कोई दिक्कत ना हो,इसको देखते हुए घाट के इर्द-गिर्द पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही गांव के अलग-अलग इलाकों से पोखरी की तरफ आने वाले रास्तों पर भी अतिरिक्त लाइटिंग कराया जाना प्रस्तावित है। डाला छठ भगवान भास्कर की आराधना का पर्व है। जिसमें अस्त होते सूर्य देवता को अर्घ्य देने के साथ ही अगले दिन सूर्योदय के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। ऐसे में बहुत से व्रतियों की घाट के आसपास से ही रहकर सुबह अर्थ देना को प्राथमिकता रहती हैं।
रात्रि जागरण का कार्यक्रम आयोजित होंगे
ऐसे व्रतियों के लिए भजन मंडली की ओर से रात्रि जागरण का कार्यक्रम आयोजित कराया जाएगा। साथ ही साथ गांव के युवक और युवतियों को भी मंच से अपने सांस्कृतिक कला के प्रदर्शन का अवसर उपलब्ध कराया जाएग।यह पर्व नहाए-खाए से शुरू होकर उगते सूर्य देव की आराधना के पूरा होता है।पोखरे की व्यापक साफ-सफाई स्थानीय लोगों के सहयोग से किया जा रहा है।
28 से 31 अक्टूबर तक यह पर्व मनाया जाएगा
इस साल साल 28 अक्टूबर से लेकर 31 अक्टूबर तक यह पर्व मनाया जाएगा। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि छठ का व्रत करने के प्रताप से ही पांडवों को उनका खोया हुआ राजपाट फिर से हासिल हुआ था। जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था और पांडवों के मंगलकामना के लिए पूजा किया था। उनकी मनोकामनाएं पूरी हुईं और पांडवों को राजपाट वापस मिल गया थ। यह पर्व इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है कि प्रत्यक्ष दिखने वाले भगवान भास्कर की आराधना इस में की जाती है ,जो कि मनुष्यों और जीव-जंतुओं के जीवन में बहुत बड़ी भूमिका अदा करते।