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प्राइवेट चिकित्सकों का फूटा गुस्सा, निजी अस्पताल के संचालकों ने बुलंद की आवाज

रूरल हेल्थ केयर सोसायटी ग्रामीण चिकित्सक संघ ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा हो रहे उत्पीड़न को लेकर कासिमाबाद ब्लॉक सभागार में बैठक किया। बैठक को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि चिकित्सकों को स्वास्थ्य विभाग के द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है। जबकि निजी चिकित्सक ना रहे तो गांव के गरीब तबका के लोग इलाज के अभाव में दम तोड़ देंगे।

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इस दृष्टि को ध्यान में रखते हुए शासन को ग्रामीण चिकित्सकों को प्रशिक्षण करा कर सेवा प्रदान किया जा सकता है। महामारी के दौरान प्राइवेट चिकित्सक नहीं रहते तो धरातल पर एक भयानक रूप होता। लेकिन निजी चिकित्सकों ने अपनी जान की बाजी लगाकर महामारी के दौरान रोगियों का इलाज किया। जबकि महामारी के दौरान बड़े-बड़े चिकित्सक अपने हाथ खड़ा कर दिए, लेकिन प्राइवेट चिकित्सक ने हार नहीं मानी और विषम परिस्थिति में भी सेवा की।

प्राइवेट चिकित्सकों ने कहा- की जा रही मानसिक आर्थिक प्रताड़ना

विगत दिनों से प्राइवेट चिकित्सकों के अस्पतालों पर आए दिन स्वास्थ विभाग के द्वारा छापेमारी कर मानसिक आर्थिक प्रताड़ना की जा रही है। उनकी रोजी-रोटी छिना जा रहा है। जबकि यह चिकित्सक अपना पूरा समय समाज में गरीब तबके के रोगियों की इलाज करने में गवा दी। एक स्वर में प्राइवेट चिकित्सकों ने आवाज बुलंद करते हुए शासन से मांग करते कहा कि ग्रामीण चिकित्सकों को चिकित्सा का अधिकार दिया जाए। चिकित्सक मित्र के रूप में नियुक्ति हो। पुनर्वासन की व्यवस्था सरकार द्वारा प्रदान की जाए।

ये लोग रहे मौजूद

कार्यक्रम की अध्यक्षता कासिमाबाद ब्लाक प्रमुख मनोज गुप्ता ने की। इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर रामाकांत यादव, जिला अध्यक्ष डॉ रमाकांत पांडे, कोषाध्यक्ष डॉक्टर मुरलीधर मौर्य, जिला सचिव डॉ वीरेंद्र कुमार कुशवाहा ,डॉक्टर योगेंद्र गुप्ता, डॉक्टर इरफान सहित सभी प्राइवेट चिकित्सक मौजूद रहे।

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