खरीफ वर्ष 2022-23 में धान खरीद व ढुलाई के नियम में शासन ने परिवर्तन कर दिया है। पहली बार धान क्रय केंद्र से मिल तक धान व मिल से गोदाम तक चावल पहुंचाने वाले वाहनों को जीपीएस के माध्यम से ट्रैक किया जाएगा। इसके पीछे ठेकेदारों की ओर से मनमाने ढंग से मिलने वाले बिल से छुटकारा पाना है।
किसानों से खरीदे गए धान को मिल तक पहुंचाने के लिए संभागीय खाद्य नियंत्रक क्रय एजेंसी ई-टेंडर के माध्यम से करती है, जो क्रय केंद्र से मिल तक धान व मिल से एफसीआइ डिपो तक चावल को पहुंचाने का कार्य ठेकेदार करते हैं। अब इन्हें अपने वाहनों में जीपीएस लगवाना होगा तभी यह ई-टेंडर भर पाएंगे। वाहन ठेकेदार को 10 टन वजन पर आठ किलोमीटर तक का किराया 1680 रुपये मिलता है, वहीं किलोमीटर बढ़ने पर 20-25 रुपये किलोमीटर का किराया अतिरिक्त दिया जाता है। इससे पहले यह ठेकेदार अपने वाहन का अधिक किमी दर्शाकर अधिक किराया ले लेते थे। इससे शासन को नुकसान होता था।
जीपीएस लगने से इनके वाहन की मिनट दर मिनट की ट्रैकिंग सीधे लखनऊ से की जाएगी और उसी के आधार पर वाहन की दूरी व भार का निर्धारण कर भुगतान किया जाएगा। जनपद में धान की खरीद किसानों से एक नवंबर से सुबह नौ से पांच बजे तक आनलाइन टोकन के आधार पर पहले आओ, पहले तौलाओं की तर्ज पर की जाएगी।
किसी क्रय केंद्र पर निर्धारित दैनिक खरीद क्षमता से अधिक किसान पहुंचने पर आफ लाइन टोकन की भी व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए जनपद में 102 केंद्रों का निर्धारण किया गया है। इसमें से 56 केंद्र तैयार हैं। इसमें विपणन-31, पीसीपएफ-14, पीसीयू-10, एफसीआई-1 केंद्र शामिल है। अभी तक 5586 किसानों ने अपना पंजीयन धान बेचने के लिए कराया है। अभी किसान अपना पंजीयन लगातार करा रहे है। पिछले वर्ष 45902 किसानों ने अपना पंजीयन धान बेचने के लिए कराया था।
अब जीपीएस के बिना कोई भी ठेकेदार धान हैंडलिंग के लिए ई-टेंडर नहीं भर सकेगा
अब जीपीएस के बिना कोई भी ठेकेदार धान हैंडलिंग के लिए ई-टेंडर नहीं भर सकेगा। क्योंकि उसे ई-टेंडर डालते समय यह निश्चित करना होगा कि उसके वाहन में जीपीएस लगा हुआ है। इसके लिए उसे जीपीएस के बिल को अपलोड करना होगा।