गाजीपुर जिले के जमानियां में आज ब्लाक मुख्यालय परिसर में चैतन्य देवियों की झांकी, चरित्र निर्माण आध्यात्मिक प्रदर्शनी और राजयोग शिविर का शुभारंभ प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के सौजन्य से हुआ। जिसका शुभारंभ बीडीओ प्रवीण श्रीवास्तव व ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि संतोष कुश्वाहा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
ध्वनि एवं प्रकाश के अति सुंदर समायोजन से चैतन्य देवियों की झांकी श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनी है। जिसमे राजयोग साधनारत ब्रह्माकुमारी बहनें जडमूर्ति के सामान प्रतीत हो रही है। जिसे देख वहां मौजूद भक्त भी अचंभित हो गए।
सादगी की पेश की गई अद्भुत मिसाल
दुर्गा के रूप में खुशबू, लक्ष्मी के रूप में ममता, सरस्वती के रूप में बबली, काली के रूप में आंचल, ज्ञान गंगा के रूप में शिवांगी, कार्तिकेय के रूप में दीप्ति, गणेश के रूप में आशु और महिषासुर के रूप में त्रिभुवन आदि के द्वारा योग, एकाग्रता, ध्यान और सादगी का अद्भुत मिसाल पेश किया गया। बीडीओ प्रवीण श्रीवास्तव ने कहा कि वैसे तो भारत त्योहारों का देश है। पर केवल नवरात्र ही एकमात्र ऐसा पर्व है, जो वर्ष में दो बार मनाया जाता है। यह त्योहार महाशक्ति के नव रूपों से प्रेरणा पाने का समय है।
नवरात्र का ये है महत्व
ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि संतोष कुश्वाहा ने कहा कि भारत में परम्परागत तरीके से नवरात्र मनाया जाता है। नवरात्र का भावनात्मक अर्थ है। दुर्गा के नौ रूपों की नौ दिनों तक पूजा-अर्चना और नवरात्र का आध्यात्मिक अर्थ है। नव या नए युग में प्रवेश करने से ठीक पहले की ऐसी घोर अंधियारी रात्रि, जिसमें शिव, अवतरण लेकर मनुष्यात्माओं के पतित अवचेतन मन (कुसंस्कार) का ज्ञान अमृत द्वारा तरण (उद्धार) कर देते हैं।
ये लोग रहे मौजूद
कहा कि अवतरण अर्थात् अवचेतन का तरण। ऐसी तरित- आत्माएं फिर चैतन्य देवियों के रूप में प्रत्यक्ष हो कर कलियुगी मनुष्यों का उद्धार करती हैं। जब परमात्मा को याद करेंगे तो जीवन में सामना करने की शक्ति, निर्णय करने, सहन करने, सहयोग करने इत्यादि अष्ट शक्तियां प्राप्त होती हैं। ब्रह्माकुमारी काजल और मेघा बहन के संचालन में बृजेश भाई, अरविंद भाई, विनोद भाई, बैरिस्टर भाई, रामकिशन भाई आदि के सहयोग से ये झांकी सजाई गई।