कौमी एकता तथा सांप्रदायिक सौहार्द्र का प्रतीक लतीफशाह मजार पर लगने वाले तीन दिवसीय मेला गुरुवार से शुरू हो गया। पहले दिन मजार पर पूर्वांचल के जिलों और बिहार से आए जायरीनों ने जियारत कर दुआख्वानी की। इस दौरान हिन्दुओं ने भी चादरपोशी कर मन्नत मांगी। मेले में लोगों की भारी भीड़ के मद्देनजर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
कर्मनाशा नदी के किनारे बाबा लतीफशाह और सैयद शाह अजमेरी की मजार व बनवारी दास का मंदिर है। हर शुक्रवार को यहां मुसलमान जियारत, चादरपोशी और दुआख्वानी के लिए आते हैं। वे बंधे पर पिकनिक भी मनाते हैं। चकिया कोतवाल राजेश यादव ने बताया कि मेले के मद्देनजर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं।
बाबा लतीफशाह की मजार पर हर साल की भांति मेले का आयोजन किया गया था। बच्चों के खिलौनो से लेकर गृहस्थी के सामानों की जहां दुकाने लगी हुई थी। वही मजार के दूसरे छोर पर गंवई चाट-पकौड़ी और गुड़हिया जलेबी, चाऊमिन, बर्गर की दुकानें लगी हुई थी। लतीफशाह डैम के निचले हिस्से में जायरीन घोड़ो पर बैठ कर और डैम से गिर रहे पानी में नहाकर खूब चाव से फोटो खिंचवा रहे थे। पूरे परिवार के साथ चादर पोशी और पिकनिक मनाने आये जायरीन अच्छे-अच्छे पकवान बनाकर बाबा को चढाने के बाद खाने का लुत्फ उठा रहे थे।