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सैनिकों के गांव 'गहमर' को रेलवे ने किया दरकिनार, रेल चक्काजाम की चेतावनी

पूर्व मध्य रेलवे दानापुर डिवीजन के सैनिक बहुल्य एशिया के बड़े गांवों में शुमार गहमर गांव के रेलवे स्टेशन पर पूर्व में कुल 19 जोड़ी मेल, एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव होता था। कोविड-19 में सभी ट्रेनों का ठहराव निरस्त से न सिर्फ सवा लाख की आबादी वाले इस गांव सहित अन्य गांवों के लोगों को दुश्वारियों उठानी पड़ रही है, बल्कि शरहद पर तैनात सैनिको को गांव आने में परेशानी उठानी पड़ रही है।

कोविड-19 के फेस चार में ट्रेनों का संचालन शुरु हुआ तो लोगों में आस जगा कि अब सभी ट्रेनों का ठहराव होगा। जिससे सवा लाख की आबादी के गहमर में भारतीय सेना में कार्यरत लगभग पंद्रह हजार सैनिकों को जो देश के विभिन्न सीमाओं पर तैनात होकर देश सेवा करते हैं। कोई कारगिल तो कोई लद्दाख जैसे दुरुह जगहों पर अपनी कर्तव्य का निर्वहन कर रहा है। कई हजार सैनिक सेवानिवृत्त हैं उनके क्षेत्र में ट्रेनों का ठहराव नहीं किया गया।

ट्रेनों के ठहराव की मांग को लेकर स्थानीय गांव सहित क्षेत्रीय ग्रामीणों ने भूतपूर्व सैनिक सेवा संगठन के नेतृत्व में 10 दिसंबर2 020 को स्थानीय स्टेशन के सर्कुलेशन परिसर में धरना प्रदर्शन किया। जिसपर मुंबई व दिल्ली के लिए चार जोडी ट्रेनों का ठहराव किया गया। अन्य ट्रेनों को कोविड-19 काल समाप्त होने पर ठहराव किये जाने का आश्वासन दिया गया। कोरोना काल समाप्त होने पर पूरे देश में ट्रेनों का संचालन पूर्ववत बहाल कर दिया गया। लेकिन गहमर स्टेशन की ट्रेनों की ठहराव नहीं दिया गया।

प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बताया कि जिसपर 18 जुलाई 22 को स्थानीय गांव के पूर्व सैनिक और ग्रामीण रेलवे परिसर में अनिश्चितकाल धरने पर बैठ गये। दस दिन चले धरने के बाद रेल प्रशासन व जिलाधिकारी गाजीपुर के आश्वासन के बाद धरना समाप्त किया गया। उस समय  कुछ ट्रेनों का ठहराव दिया गया।

मगध एक्सप्रेस, फरक्का एक्सप्रेस, गरीब रथ, भगत की कोठी ट्रेन का अगले तीन महीने में ठहराव सुनिश्चित करने के आश्वासन दिया गया। रेल ठहराव संघर्ष समिति गहमर के अध्यक्ष मारकण्डेय सिंह, अध्यक्ष जिला बार एसोसिएशन गाजीपुर के धीरेन्द्र सिंह, अध्यक्ष तहसील बार एसोसिएशन सेवराई अशोक सिंह, रेलवे बोर्ड के सदस्य मुरली कुशवाहा, संयोजक हृदयनारायण सिंह व मुन्ना पाण्डेय आदि ने बताया कि फौजियों के गांव के इस रेलवे स्टेशन दानापुर रेलखंड में अपने श्रेणी के स्टेशनों में सर्वाधिक आय देने वाला है। यह बक्सर और दिलदारनगर जंक्शन के बाद हर दृष्टिकोण से सर्वोत्तम स्थान रखता है।

रेलवे प्रतिदिन यहां से लाखों रुपए अर्जित करती है, लेकिन इसके बावजूद इस स्टेशन पर रुकने वाली  ट्रेनों की ठहराव को बंद कर दिया गया। उन्होंने कहा कि ट्रेनों की ठहराव की मांगों को लेकर कई बार ज्ञापन सौंपा जा चुका है, लेकिन रेल प्रशासन के अडयल रवैए से सैनिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि यहां के लोग देश के कोने-कोने मे मौजूद हैं तो वहीं यहां के सैनिक देश के विभिन्न सीमाओं की सुरक्षा मे लगे हैं। इन सैनिकों को आने जाने के लिए  यहां से 30 किमी दूर रेलवे स्टेशन बक्सर (बिहार) या पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन जाना पड रहा है। जिससे लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पडता है।

आरोप लगाया कि कि हमारा पूरा गांव व क्षेत्र के लोग रेलवे के पक्षपात रवैये से आहत हो चुका है। दो वर्षों से हम पत्रचार, एवं सम्पर्क कर चुके है। बूढ़े- बीमार व्यवसाई अब त्रस्त हो चुके हैं। हम दानापुर डीआरएम से लेकर दिल्ली के शीर्ष अधिकारियों तक मिल चुके हैं। इस लिए अब हम रेलवे के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रहे हैं। हम पूर्व सैनिक व ग्रामीण रेल चक्का जाम और जन आंदोलन के लिए बाध्य हुए।

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