सेना में भर्ती के नाम पर युवाओं से ठगी करने वाले गिरोह का स्पेशल टास्क फोर्स ने मिलिट्री इंटेलीजेंस के सहयोग से राजफाश किया है। इस संबंध में बुधवार को छावनी क्षेत्र स्थित सेंट मेरिज स्कूल के पास से गिरोह के सरगना समेत दो को गिरफ्तार किया गया। इनके कब्जे से सात हजार नकद समेत पांच फर्जी नियुक्ति पत्र, मोबाइल व कार बरामद की गई। गिरफ्तार आरोपितों में सुन्दर बिहार हनुमान मन्दिर के पास कोकर, रांची झारखंड निवासी अमित कुमार चौधरी व न्यू हैदर अली रोड बजरंगनगर, रांची झारखंड निवासी सचिन कुमार पांडेय शामिल हैं। अमित गिरोह का सरगना बताया गया।
एसटीएफ को कुछ दिनों से पूर्वांचल के जिलों सहित हैदराबाद, नई दिल्ली, कोलकाता, भुवनेश्वर, लखनऊ आदि शहरों में सेना में नौकरी दिलाने के नाम पर जालसाजों के एक अंतरराज्यीय गिरोह द्वारा बेरोजगार युवकों को ठगने की सूचना मिलिट्री इंटेलीजेंस वाराणसी से प्राप्त हुई थी। इस पर एसटीएफ की स्थानीय इकाई को कार्रवाई के लिए निर्देश दिए गए थे।
इसी क्रम में निरीक्षक अनिल कुमार सिंह को सूचना संकलन के माध्यम से ज्ञात हुआ कि सेना में भर्ती के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का सरगना अमित कुमार चौधरी अपने कुछ साथियों संग छावनी क्षेत्र के डाक बंगले में मुरादाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर, पंजाब व महाराष्ट्र के युवकों को मिलिट्री इंजिनियरिंग सर्विस की फर्जी परीक्षा लेकर ठगी करने के लिए बुलाया है। इस पर निरीक्षक अनिल सिंह के नेतृत्व में एसटीएफ की टीम ने मौके पर पहुंच कर पता किया गया जो पता चला कि यह लोग चेक आउट करके चले गए हैं। इसके बाद वहां मौजूद युवकों की निशानदेही पर कुछ दूरी पर जा रही गाडी नंबर जेएच 01 डीए 9903 का पीछा करके दो आरोपितों को दबोच लिया गया।
ऐसे करते थे ठगी
गिरफ्तार आरोपितों ने पूछताछ में एसटीएफ को बताया कि वे छावनी स्थित डाक बंगला में कमरा बुक कराकर विभिन्न प्रांतो के युवकों को बुलाते थे। मिलिट्री इंटेलीजेंस सर्विस की फर्जी परीक्षा लेकर उनका फिंगर प्रिंट लेते थे। इसके बाद मंडलीय अस्पताल से मेडीकल कराकर फर्जी नियुक्ति पत्र देकर भर्ती के नाम पर लाखों की वसूली करते हैं। ये काम वर्षों से कर रहे हैं। गिरोह का एक सदस्य राकेश कुमार बिष्ट एमईएस की फर्जी आइडी दिखाकर युवकों को फंसाकर लाता है। डाक बंगला में पहचान के लोगों के माध्यम से आराम से कमरा बुक हो जाता है।
डाक बंगला के कमरे में आफिस
डाक बंगला छावनी में होने के कारण भुक्तभोगी भी उसे मिलिट्री का आफिस समझकर परीक्षा देते हैं। वे विश्वास कर लेते हैं कि सब सही काम हो रहा है। इसी दौरान भुक्तभोगियों से एक से दो लाख रुपये एकाउंट में मंगवा लेते हैं। मेडिकल कराने के बाद चार लाख रुपये की मांग की जाती है। पैसा मिल जाने के बाद फर्जी नियुक्ति प्रमाण पत्र उनके पते पर भेज दिया जाता है। आरोपितों को कैंट थाने में मुकदमा दर्ज कराने के लिए दाखिल किया गया है।