सेवराई के भदौरा ब्लॉक में स्वच्छ भारत मिशन योजना फ्लॉप साबित हो रही है। यहां के विभिन्न ग्राम पंचायतों में लाखों रुपये की लागत से सामुदायिक शौचालय बनवाया गया। लेकिन लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। शौचालयों की देखरेख के लिए समूह की महिलाओं की नियुक्ति भी की गई।
इन्हें ग्राम पंचायत निधि द्वारा प्रतिमाह 6 हजार मानदेय एवं करीब 3 हजार मरम्मत व अन्य खर्च के लिए दिए जाते हैं। बावजूद इसके शौचालय बंद ही रहता है।
ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा लाभ
सेवराई तहसील क्षेत्र के मुस्लिम बाहुल्य गांव एवं गंगा नदी के तट पर बारा बसा है। बारा में तत्कालीन ग्राम प्रधान के ग्राम पंचायत निधि से 15 लाख रुपए खर्च कर सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया। ग्राम पंचायत ने शौचालय प्रयोग के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया। लेकिन विभागीय उदासीनता एवं क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों व समूह के कर्मचारियों की लापरवाही के कारण लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण मजबूरन शौच के लिए घर से बाहर जाने को मजबूर हैं।
स्थानीय ग्रामीण सुमित, असफाक, नसीम, विनय आदि ने बताया कि पास में ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं बिहार प्रांत को जोड़ने वाली ताड़ीघाट बारा मुख्य मार्ग है। जिससे रोजाना हजारों की संख्या में लोग आवागमन करते हैं। ऐसे में विषम परिस्थितियों के कारण लोगों को शर्मिंदगी महसूस करनी पड़ती है।
दिन के समय भी बाहर जाने को मजबूर ग्रामीण
ग्रामीणों का आरोप है कि शौचालय में ताला बंद रहने से दिन के समय लोगों को शौचालय के लिए बाहर जाना पड़ता है। कई बार इसकी शिकायत की गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ग्रामीणों ने शौचालय को सुचारू रूप से चलाने की मांग की है। इस बाबत ग्राम प्रधान आजाद खान ने बताया कि शौचालय की देखरेख के लिए समूह की महिला की नियुक्ति की गई है। ग्रामीणों की शिकायत की जांच की जाएगी। संबंधित के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी।