जिम्मेदारों के द्वारा आश्वासन देते देते ढाई दशक बीत गया, लेकिन गाजीपुर जिले के जमानियां क्षेत्र के गंगा नदी पर स्थित सेतु के दोनों तरफ मातृभूमि के लिए 1965 में भारत- पाक युद्ध में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद के नाम का गायब बोर्ड आज तक एनएचएआई के द्वारा नहीं लगाया जा सका। जिसके चलते सैनिकों सहित ग्रामीणों में लापरवाही बरत रहे सम्बन्धित विभाग व जनप्रतिनिधियों के प्रति लोगों में रोष व्याप्त है।
रविन्द्र प्रताप सिंह, लल्लन यादव, नंदकिशोर, मानिक राज, कैप्टन बब्बन राम, कृष्ण मेनन पांडेय आदि पूर्व सैनिकों व क्षेत्रीय ग्रामीणों ने बताया कि शहीद के प्रति जिस तरह से महकमें के द्वारा उदासीनता बरती जा रही है। वह वह समझ से परे हैं, जिसे हमलोग किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगें। लोगों ने चेताया कि जल्द सेतु के दोनों तरफ गायब बोर्ड के स्थान पर शहीद के नाम का नया बोर्ड लगाया जाए। अन्यथा हमलोग आंदोलन को विवश होगें। लोगों ने कहा कि सबसे हैरानी कि बात यह है, आए दिन इस महत्वपूर्ण सेतु से विभाग के जिम्मेदार, जनपद के आलाधिकारियों के अलावा वीआईपी मूवमेंट होता रहता है। मगर आज तक किसी की नजर शहीद के गायब बोर्ड की ओर नहीं गया जो हैरान करने वाली है।
1965 के युद्ध में हो गए थे शहीद
जिले के धामुपुर गांव के एक सामान्य परिवार में एक जुलाई 1933 को जन्मे वीर अब्दुल हमीद की वीरता की गाथा शब्दों में बयां नहीं जा सकती। सैनिकों ने बताया कि अब्दुल हमीद ने 1965 के युद्ध में खेमकरन में दुश्मन के सात टैंकों को तहस-नहस कर दिया था। पाक के द्वारा छिपकर किए गए हमले में अब्दुल हमीद मातृभूमि की रक्षा करते हुए शहीद हो गए।
बहुत जल्द लगाया जाएगा नया बोर्ड
गाजीपुर जिले के जमानियां स्थित गंगा नदी पर 1984 में बनकर तैयार हुआ इस पुल का नामकरण परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद के नाम पर कर पुल के दोनों तरफ शहीद के नाम का बोर्ड लगाया गया था।एनएचएआई वाराणसी के पीडी आरएस यादव ने बताया कि विभाग शहीद का सम्मान करता है। उनके नाम का बहुत जल्द नया बोर्ड लगाया जाएगा।