देश का सेकंड हैंड या पुरानी कारों का बाजार 2026-27 तक 19.5 प्रतिशत सालाना की दर (सीएजीआर) से बढ़ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, देश में पुरानी यानी सेकंड हैंड कार का बाजार अभी 23 अरब डॉलर का है।
रिपोर्ट में कहा गया कि देश के छोटे शहरों में सेकंड हैंड कारों की मांग 2026 तक 30 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ सकती है। जबकि देश के प्रमुख 40 शहरों में पुरानी कारों की मांग सालाना 10 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है।
इंडियन ब्लूबुक और दास वेल्टऑटो के सहयोग से तैयार वित्त वर्ष 2021-22 के लिए सेकंड हैंड कार और बाइक उद्योग की रिपोर्ट के 5वें संस्करण के अनुसार, इस क्षेत्र में कई कारणों से वृद्धि संभव है।
इसमें प्रमाणित कारों की उपलब्धता, खर्च योग्य आय के कारण कारों और दोपहिया वाहनों के स्वामित्व के औसत कार्यकाल में कमी, कम समयसीमा के भीतर नए मॉडल उतारना आदि शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार, देश में बीते वित्त वर्ष के दौरान 35 लाख से अधिक सेकंड हैंड कारों को बेचा-खरीदा गया। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2020-21 के रिकॉर्ड आंकड़े से अधिक है। वहीं, इसी अवधि के दौरान वैश्विक स्तर चार करोड़ से अधिक सेकंड हैंड कारों को बेचा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया कि देश में वित्त वर्ष 2026-27 तक सेकंड हैंड कारों की बिक्री 80 लाख इकाई तक पहुंच सकती है। इसके वित्त वर्ष 2026-27 तक 19.5 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ने का अनुमान है। इस अवधि के दौरान पुरानी कार से नई कार का अनुपात 1.9 तक पहुंचने का अनुमान है।