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नवरात्र के दूसरे दिन ज्येष्ठा गौरी और माँ ब्रह्मचारिणी देवी के पूजन की मान्‍यता

नवरात्रि पर्व के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। वाराणसी के काशी में शिव और शक्ति का स्‍थान माना गया है। भगवान शिव से विवाह हेतु प्रतिज्ञाबद्ध होने के कारण ये माँ ब्रह्मचारिणी कहलायीं। शक्ति स्‍वरूपा के आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र के मौके पर काशी में नौ अलग अलग दुर्गा स्‍वरूपों के साथ ही नौ अलग अलग गौरी के भी पूजन की अनोखी मान्‍यता है। 

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मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को अपने कार्य में सदैव सफलता प्राप्त होती है। देवी दुर्गा के अतिरिक्‍त नौ गौरी को सिद्ध करने के लिए अलग- अलग मंदिर, आह्वान मंत्र और पूजन का अलग अलग विधि विधान और मान्‍यता भी हैं। नवरात्र के दूसरे दिन ज्येष्ठा गौरी का दर्शन पूजन कर्णघंटा के सप्तसागर में किया जा सकता है। वहीं शक्ति के उपासक माँ ब्रह्मचारिणी देवी का भी दर्शन-पूजन करते हैं। इनका मंदिर ब्रह्माघाट क्षेत्र में है।

दुर्गा सप्तशती के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी शांत और निमग्न होकर तप में लीन रहती हैं। माँ ब्रह्मचारिणी देवी के दाहिने हाथ में जप की माला है और बायें हाथ में कमण्डल है। इनके कई अन्य नाम भी हैं जैसे तपश्चारिणी, उमा और अपर्णा। यह देवी मां भगवती दुर्गा, शिवस्वरूपा, गणेशजननी, नारायणी, विष्णु माया और पूर्ण ब्रह्मस्वरूपिणी के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। इस चक्र में स्थित साधक मां ब्रह्मचारिणी देवी की भक्ति और कृपा को प्राप्त करता है और देवी भक्त को आशीर्वाद देती है।

माँ ब्रह्मचारिणी देवी आराधना का महत्व :-

माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना से व्यक्ति को विवेक ओर ज्ञान की प्राप्ति होती है। इनके आशीर्वाद से तप, सदाचार, संयम, त्याग, वैराग्य की वृद्धि होती है। मनुष्य के जीवन में कठिन परिस्थितियां आने पर भी उसका मन कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता है। माँ ब्रह्मचारिणी देवी अपने साधकों की मलिनता, दुर्गुणों और दोषों को नष्ट करती हैं। माँ की कृपा से सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है।

इस तरह‍ करें पूजन-विधि : 

  • नवरात्रि पर्व के दूसरे दिन ब्रह्म मुहूर्त में सुबह उठकर आप स्नान करें। 
  • इसके बाद फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धिकरण कर लें।
  • पूजा घर के मंदिर में देसी घी का दीपक प्रज्वलित करें। 
  • मां ब्रह्मचारिणी दुर्गा का शुद्ध जल से अभिषेक करें।
  • अब मां ब्रह्मचारिणी देवी को अर्घ्य दें।
  • मां ब्रह्मचारिणी को अक्षत, सिंदूर और लाल पुष्प अर्पित करें। 
  • प्रसाद के रूप में पांच प्रकार के फल और मिठाई का भोग लगाएं।
  • दुर्गा शप्‍तशती चालीसा का पाठ करें और फिर आखिर में मां की आरती करें। 

नवरात्र के दूसरे दिन 27 सितंबर को मां ब्रह्मचारिणी देवी को प्रसाद के रूप में शक्कर, सफेद मिठाई, मिश्री और फल का भोग लगाना चाहिए। दुर्गा शप्‍तशती का पाठ करें, फिर आखिर में आरती पढ़ें।

मां ब्रह्मचारिणी देवी को पसंद है ये भोग -

मां ब्रह्मचारिणी देवी को गुड़हल और कमल का फूल बेहद ही पसंद है और इसलिए इनकी पूजा के समय इन्हीं फूलों को मां के चरणों में अर्पित किया जाता है। क्योंकि देवी को मिश्री काफी पसंद है इसलिए मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं। वहीं देवी मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्‍यंजन भी अति प्रिय हैं। इसलिए देवी को दूध से बने व्‍यंजनों का भोग भी लगाया जाता है। इस भोग से माँ ब्रह्मचारिणी देवी अत्यंत प्रसन्न होती हैं, और जीवन में सुख समृद्धि का वरदान देती हैं। इन्हीं चीजों का दान करने से मानव को लंबी आयु का सौभाग्य भी प्राप्त होता है।

देवी की पूजा सामग्री : 

लाल चुनरी, लाल वस्त्र, मौली, श्रृंगार का सामान (यथा सामर्थ्‍य), दीपक, देशी घी या तेल, धूप, नारियल, अक्षत, कुमकुम, पुष्प (लाल फूल, विशेष गुड़हल), देवी की प्रतिमा या फोटो, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, मिश्री, कपूर, फल और मिठाई, कलावा।

शारदीय नवरात्र के मौके पर दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी देवी का होता है, जिनका व्रत और पूजन करने से मानव के बुद्धि का विकास होता है। ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्माचारिणी, जिन्हें देवी मां भगवती भी कहा जाता है वह अपने भक्त को जीवन से जुड़ी हर परीक्षा पास करने की शक्ति और आशीर्वाद प्रदान करती हैं। 

मां ब्रह्मचारिणी मंत्र- 

ब्रह्मचारिणी का विभिन्‍न परीक्षा में सफलता दिलाने का मंत्र – ''विद्याः समस्तास्तव देवि भेदाः स्त्रियः समस्ताः सकला जगत्सु। त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुतिः स्तव्यपरा परोक्तिः।।'' है। देवी के पूजन के दौरान उच्‍चारण का विशेष ध्यान रखा जाता है।  

देवी को मंत्रों से करें प्रसन्‍न :-

ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।

सर्वमंगल मांगल्ये शिव सर्वार्थ साधिके।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते।।

ऊं जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।

सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते। 

भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमो स्तुते।।

शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे। 

सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते।।

सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि।

गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तुते।।

नवरात्रि पर विशेष ध्‍यान :

शारदीय नवरात्र के दौरान प्‍याज, लहसुन, शराब, मांस-मछली सेवन न करें, कलेश न करें, काले कपड़े और चमड़े की चीजें न पहनें, दाढ़ी, बाल और नाखून न काटें, सात्विक जीवन का पालन करें।

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