गंगा की सहायक नदी और वाराणसी नाम देने वाली वरुणा को मलजल से मुक्ति मिलेगी। इसके लिए उसमें गिर रहे नौ नाले बंद किए जाएंगे। उसकी तलहटी में जमी गाद की तीन फीट तक सफाई की जाएगी। जगह-जगह जलकुंभी व घरों से निकलने वाले सीवेज व कचरा से नदी को बचाने की दिशा में कार्य शुरू होने जा रही है। नदी के उद्धार के लिए कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने पहल की है और इसमें सेना के जवान समेत नगर निगम, जल निगम, सिंचाई विभाग, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व होटल वालों की भूमिका तय की है।
गत सोमवार को हुई कमिश्नरी सभागार में हुई बैठक में तय हुआ कि अब नदी की तलहटी को पोकलेन से तीन फीट गहरी खोदाई करके साफ किया जाएगा। ऐसा होने से नदी की जल धारिता बढऩे के साथ ही जलीय जीवों का बसेरा होगा। जरूरत पड़ी तो स्कीमर मंगाकर भी सफाई कराई जाएगी।
शहरी क्षेत्र में करीब सात किलोमीटर के दायरे में हर दिन प्रदूषण की आकंठ समस्या से जूझ रही इस नदी में गिर रहे छह नालों को पूरी तरह से बंद किया जाएगा। बुद्ध विहार कालोनी में बने होटलों के अवजल को उसमें गिरने से पूरी तरह से रोका जाएगा।
सीवरेज के लिए जो वरुणा कारिडोर में चैनलाइजेशन का काम हुआ है उसका फिर से नए सिरे से सर्वे करके यह चेक किया जाएगा कि कहां-कहां सीवरेज लाइन से लीकेज है। कमिश्नर ने सभी होटल मालिकों को खुद के लिए एसटीपी लगाने का निर्देश दिया है। जरूरत पड़ी तो होटल किनारे सीसी टीवी कैमरा लगाकर होटलों के कचरे व सीवेज को नदी में जाने से रोकने का प्रयास होगा।
नगर निगम मैन पावर व संसाधन देगा
नदी की सफाई के लिए नगर निगम सभी तरह के उपकरण व मैन पावर देगा। वहीं आर्मी गंगा टास्क फोर्स भी सफाई में नगर निगम के साथ सहयोग में रहेगा। पौधरोपण वन विभाग व नगर निगम कराएंगे।
यह काम होंगे
-बच्चों के खेलने के लिए फन जोन, रिवर पार्क बनेंगे
-कई जगहों पर पार्क को अस्तित्व में लाया जाएगा
-नदी के दोनों छोर पर बम्बू पेड़ लगेंगे ताकि बाढ़ का असर न हो
नौ नाले बंद होंगे
नदी में कुल 15 बड़े नाले गिर रहे थे जिसमें छह को सिंचाई विभाग ने चैनलाइजेशन करके बंद कर दिया है। बाकी बचे सेंट्रल जेल नाला, सारंग तालाब नाला, अर्दली बाजार नाला, चमरौटिया नाला, खजूरी कालोनी नाला, बनारस नाला नम्बर-5, हुकूलगंज नाला, नई बस्ती नाला और नरोखर नाला को बंद किया जाएगा।