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गंगा नदी पुल बना शोपीस, दशकों से खराब हैं लाइटें, अंधेरे में यात्रा कर रही जनता

जमानियां क्षेत्र को बिहार से गंगा नदी पर स्थित शहीद वीर अब्दुल हमीद जोड़ता है। पुल के दोनों तरफ 64 स्ट्रीट लाइटें हैं। लेकिन ये लाइटें पिछले तीन दशक से नहीं जली हैं। इनके बल्ब, पाइप आदि टूट चुके हैं। रात के पहर में वाहन सवारों व पैदल राहगीरों को अंधेरे में पुल से गुजरना पड़ता है। इससे कई बार सड़क दुर्घटना भी हो चुकी है।

स्थानीय लंकेश, मुन्ना, रामदुलार, राम प्रवेश, रमेश, रामसचन आदि ने बताया कि कई बार आंदोलन भी चलाया गया। लाइट न जलने से हादसे होते रहते हैं। पिछले एक साल में पुल पर रात के समय पांच बड़े हादसे हुए। जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई। जबकि 12 लोग घायल हो चुके हैं। बावजूद इसके अधिकारी सुध नहीं ले रहे हैं।

इन लोगों की हो चुकी है मौत

पिछले एक साल में यहां कई हादसे हुए। ज्यादातर हादसे रात के समय हुए। वाहनों या पैदल गुजरते समय आठ लोगों की मौत हो गई। जिसमें सुखिया देवी गाजीपुर, नागा, सुष्मिता सुहवल,जीतू बिन्द नंदगज, विनोद पाल ढढनी, उमेश यादव पटकनियां, सुनिल यादव कालूपुर, जितेन्द्र निवासी नंदगंज के नाम शामिल हैं।

ये लोग हादसे में हुए हैं घायल

अलग अलग हुए हादसों में कई लोग घायल हो गई। जिसमें शशिकांत पटखौलियां, अमित श्रीवास्तव निवासी देवरियां, अनुराग निवासी गाजीपुर, सुनिल बिंद निवासी नंदगंज, राकेश अस्थाना निवासी मऊ , दुनिया देवी मरदह, साहिल बक्सर, दिनेश मटेहूं आदि घायल हो चुके हैं। ​​​​​​​स्थानीयों का कहना है कि वाहन चालक हो या पैदल, पुल पर अंधेरे में हर कोई हादसे का शिकार होता है।

50 साल पहले हुआ था निर्माण

बता दें कि 70 के दशक में यूपी के सीएम कमलापति त्रिपाठी थे। उनके कार्यकाल में इस सेतु की आधारशिला रखी गई। 1100 मीटर लंबे 11 पीलरों पर टिके इस सेतु का निर्माण हुआ। जो लगभग 10 वर्षों के अन्तराल के बाद 1984-85 में बनकर तैयार होने हुआ। फिर इसे जनता को समर्पित कर दिया गया।​​​​​​​ एनएचएआई के पीडी आरएस यादव ने बताया कि इसका सर्वे कराकर प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। प्रस्ताव मंजूर होते ही लाइटें लगाई जाएंगी।

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