अठहठा गांव में बुधवार को नाव हादसे में मारे गए सात लोगों का पोस्टमार्टम होने के बाद गुरुवार की देर शाम जब शव पहुंचा तो देखकर पूरा गांव चित्कार उठा। इस हादसे में किसी ने अपना पिता, किसी ने पुत्र-पुत्री को किसी ने अपने पति व पुत्र दोनों को खो दिया है। गुरुवार को दूसरे दिन भी गांव में सन्नाटा पसरा रहा और किसी के यहां चूल्हा तक नहीं जला। सभी इस हादसे को कोसते हुए नियती के आगे अपनी विवशता जाहिर कर विलाप कर रहे थे।
पिता-पुत्र दोनों की हो गई मौत
नाव हादसे में 45 वर्षीय शिवशंकर गोंड़ अपने 14 वर्षीय पुत्र सत्यम (1) के साथ बाजार गए थे। बाजार से घर का सामान खरीदने के साथ ही अपने पुत्र के लिए भी खरीदारी की थी। इससे वह काफी खुश भी था, लेकिन नियति को तो कुछ और ही मंजूर था। घर के करीब पहुंचते-पहुंचते बाढ़ के पानी में समा गए।
फूलमती की आंखों के सामने मिट गया सुहाग
अठहठा के 75 वर्षीय नगीना पासवान अपनी पत्नी फूलमती के साथ पशुओं के लिए चारा काटने गए थे। गांव चारों तरफ पानी से घिर गया है, इसलिए चारा भी दूसरे सिवान पशुपालकों का लाना पड़ रहा है। चारा लेकर वह लौट रहे थे कि यह हादसा हो गया। फूलमती तो किसी तरह किनारे आ गई। इसी बीच नगीना कई बार पानी के ऊपर आए और आगे बढ़ने का प्रयास, लेकिन वह हार गए। फूलमती के आंखों के सामने ही उसका सुहाग मिट गया। शव से लिपटकर वह दहाड़े मारकर रोते-रोते बेहोश हो जा रही थी।
एक भाई ने खोया इकलौता पुत्र तो दूसरे ने पुत्री
दयाशंकर और कमलेश दोनों सगे भाई हैं। नाव पर दयाशंकर का इकलौता पुत्र खुशीहाल भी सवार था, जिसकी मौत हो गई है। वहीं कमलेश की पुत्री अलिशा भी सवार थी, जिसका शव बरामद किया गया। इसके अलावा दो सगे भाई अनिल पासवान और विजयशंकर ने भी अपनी-अपनी पुत्री को खो दिया।