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इस प्रकार कीजिये माँ कुष्मांडा की पूजा आराधना, एवं जानिये माँ के स्वरूप का महत्व

शारदीय नवरात्र की चतुर्थी तिथि पर देवी के माँ कूष्मांडा स्वरूप का दर्शन-पूजन करने का विधान है। त्रिविध ताप युक्त संसार इनके उदर में स्थित हैं, इसलिए ये भवगती ‘माँ कूष्माण्डा’ कहलाती हैं। ईषत् हंसने से अण्ड को अर्थात् ब्रह्माण्ड को जो पैदा करती हैं, वही शक्ति कूष्माण्डा हैं। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। 

आश्विन नवरात्रि के चौथे दिन की सही पूजन विधि, इस दिन पूजा में शामिल किया जाने वाला मंत्र क्या होता है, साथ ही जानते हैं माँ कुष्मांडा की व्रत कथा, शास्त्रत्तें के अनुसार अपनी मंद मुस्कान से पिंड से ब्रह्मांड तक का सृजन देवी ने इसी स्वरूप में किया था। कूष्मांडा स्वरूप के दर्शन पूजन से न सिर्फ रोग-शोक दूर होता है अपितु यश, बल और धन में भी वृद्धि होती है। काशी में देवी के प्रकट होने की कथा राजा सुबाहु से जुड़ी है। देवी कुष्मांडा का मंदिर दुर्गाकुंड क्षेत्र में स्थित है। इन्हें दुर्गाकुंड वाली दुर्गा के नाम से भी जाना जाता है।

उत्तर प्रदेश वाराणसी काशी में शिव और शक्ति का स्‍थान माना गया है। शक्ति स्‍वरूपा के आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र के मौके पर काशी में नौ अलग अलग दुर्गा स्‍वरूपों के साथ ही नौ अलग अलग देवी के भी पूजन की अनोखी मान्‍यता है। देवी दुर्गा के अतिरिक्‍त नौ गौरी को सिद्ध करने के लिए अलग- अलग मंदिर, आह्वान मंत्र और पूजा का अलग अलग विधि विधान और मान्‍यता भी हैं। चतुर्थ शृंगार गौरी भगवती का विग्रह ज्ञानवापी परिसर में है। शक्ति के उपासक इस दिन कुष्मांडा देवी की आराधना दुर्गाकुंड क्षेत्र में मौजूद मंदिर में करते हैं।

इस विधि से करें माँ कुष्मांडा की पूजा -

  • नवरात्र के चौथे दिन सुबहः जल्दी उठकर स्नान आदि करने के पश्चात् सबसे पहले पूजा स्थान पर गंगाजल का छिड़काव करें।  
  • इसके पश्चात् देवी माँ कुष्मांडा का ध्यान करें।  
  • फिर कलश और उसमें उपस्थित सभी देवी देवताओं की पूजा करें।
  • उसके बाद माँ कुष्मांडा की प्रतिमा के दोनों तरफ विराजत देवी देवताओं की पूजा करें। 
  • इसके पश्चात् देवी कुष्मांडा की पूजा-आराधना प्रारंभ करें।
  • पूजा शुरू करने से पहले अपने हाथ में फूल लेकर देवी को प्रणाम करें और देवी का ध्यान करें। 
  • इस दौरान आप इस मंत्र का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जप अवश्य करें, ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥

नवरात्र के चौथे दिन 29 सितंबर को माँ कुष्मांडा देवी को मालपुआ का भोग लगाने से शुभ फल प्राप्‍त होता है। दुर्गा शप्‍तशती का पाठ करें, आरती पढ़ें।

देवी कूष्माण्डा देवी का स्वरुप -

दुर्गासप्तशती के अनुसार देवी भगवती के माँ कूष्मांडा स्वरूप ने अपनी मंद मुस्कुराहट से ही सृष्टि की रचना की थी इसलिए देवी माँ कुष्मांडा को सृष्टि की आदि स्वरूपा और आदि शक्ति माना गया है। माँ कुष्मांडा को समर्पित इस दिन का संबंध हरे रंग से जाना जाता है। देवी की आठ भुजाएँ हैं। अतः ये अष्टभुजा देनवी के नाम से भी विख्यात हैं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन सिंह है।

देवी कुष्मांडा की महिमा -

देवी भागवत पुराण के अनुसार नवरात्र के चौथे दिन देवी माँ कुष्मांडा की पूजा-आराधना करना उत्तम होता है। देवी कुष्मांडा का यह स्वरूप माँ पार्वती के विवाह के बाद से लेकर उनकी संतान कार्तिकेय की प्राप्ति के बीच का बताया गया है। कहते हैं देवी ने अपने इस रूप में ही संपूर्ण सृष्टि की रचना की और उनका पालन किया था। ऐसे में जिन लोगों को संतान को संतान होने में बाधा आती है उन्हें कुष्मांडा के स्वरूप की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

देवी माँ कुष्मांडा प्रार्थना मंत्र -

''सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥''

देवी की पूजा सामग्री : लाल चुनरी, लाल वस्त्र, मौली, श्रृंगार का सामान (यथा सामर्थ्‍य), दीपक, घी या तेल, धूप, नारियल, अक्षत, कुमकुम, पुष्प (लाल फूल, विशेष गुड़हल), देवी की प्रतिमा या फोटो, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, मिश्री, कपूर, फल और मिठाई, कलावा।

देवी को मंत्रों से करें प्रसन्‍न

ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।

सर्वमंगल मांगल्ये शिव सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते।।

ऊं जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।

सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते। भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमो स्तुते।।

शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे। सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते।।

सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि। गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तुते।।

किस रंग के कपड़े पहनें-

जातक पूजा के समय लाल, गुलाबी व पीत रंग के वस्त्र धारण करें।

किन राशियों के लिए शुभ-

नवरात्रि का चौथा दिन सभी 12 राशियों के लिए शुभ। विशेषकर मकर और कुंभ राशि के लिए उत्तम।

कौन सी मनोकामनाएं होती हैं पूरी-

मां कूष्मांडा अपने भक्तों के कष्ट और रोग का नाश करती है। मां कूष्मांडा की पूजा उपासना करने से भक्तों को सभी सिद्धियां मिलती हैं। मान्यता है कि मां की पूजा करने से व्यक्ति के आयु और यश में बढ़ोतरी होती है। 

नवरात्रि पर विशेष ध्‍यान -

नवरात्रि के इस दौरान प्‍याज, लहसुन, शराब, मांस-मछली का सेवन न करें, कलेश और मारपीट न करें, काले रंग  के कपड़े और चमड़े की चीजें न पहनें, दाढ़ी, बाल और नाखून न काटें, सात्विक जीवन का पालन करें।

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