नवरात्री का पर्व आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्र शुरु होते हैं। साथ ही इस दिन कलश पूजा स्थापना के बाद "मां शैलपुत्री" की पूजा-आराधना की जाती है। इस दिन भगत जन साधना और आराधना कर उनकी विशेष कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। वारणसी के काशी में शिव और शक्ति का स्थान माना गया है।
शक्ति स्वरूपा के आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र के मौके पर काशी में नौ अलग अलग दुर्गा स्वरूपों के साथ ही नौ अलग अलग गौरी के भी पूजन की अनोखी मान्यता है। देवी दुर्गा के अतिरिक्त नौ गौरी को सिद्ध करने के लिए अलग- अलग मंदिर, आह्वान मंत्र और पूजन का अलग अलग विधि विधान और मान्यता भी हैं। नौ गौरी में प्रथम मुख निर्मालिका गौरी का मंदिर गायघाट स्थित हनुमान मंदिर में स्थित है। वहीं शक्ति के उपासक पहले दिन शैलपुत्री देवी का पूजन-अर्चन भी करते हैं। शैलपुत्री का मंदिर अलईपुर इलाके में स्थित है।
इस तरह करें पूजन :
- ब्रह्म मुहूर्त में प्रथम दिन प्रात:काल सुबह उठकर आप स्नान करके, स्वच्छ कपड़े पहनें।
- इसके पश्चात पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।
- पूजा घर के मंदिर में देसी घी का दीपक प्रज्वलित करें।
- मां दुर्गा का शुद्ध जल से अभिषेक करें।
- देवी को अक्षत, सिंदूर और लाल पुष्प अर्पित करना चाहिए।
- फल और सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
- दुर्गा चालीसा का पाठ करने के बाद आखिर में मां दुर्गा की आरती करें।
माँ दुर्गा जगदम्बा के नौ रूप हैं। माँ जगदम्बा पहले स्वरूप में देवी ‘शैलपुत्री’ के नाम से जानी जाती हैं। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा। इस साल शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन 26 सितंबर को मां शैलपुत्री को देसी घी का भोग लगाना चाहिए। वहीं पहले दिन कलश स्थापना करने की मान्यता है। वहीं दुर्गा शप्तशती का पाठ करें, आखिर में आरती पढ़ें।
देवी की पूजा सामग्री
लाल चुनरी, लाल वस्त्र, मौली, श्रृंगार का सामान (यथा सामर्थ्य), दीपक, घी या तेल, धूप, नारियल, अक्षत, कुमकुम, पुष्प (लाल फूल, विशेष गुड़हल), देवी की प्रतिमा या फोटो, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, मिश्री, कपूर, फल और मिठाई, कलावा।
शैलपुत्री देवी की आराधना करने वालों को अच्छी सेहत और हर प्रकार के भय बाधा से मुक्ति मिलती है। इनकी आराधना से स्थिर आरोग्य और जीवन निडर होता है। व्यक्ति चुनौतियों से घबराता नहीं बल्कि उसका सामना करके जीत भी हासिल करता है। मां शैलपुत्री का मंत्र है – ''विशोका दुष्टदमनी शमनी दुरितापदाम्। उमा गौरी सती चण्डी कालिका सा च पार्वती।।'' इसका जाप सही उच्चारण के साथ ही करें। जाप के साथ आप मां को दूध का भोग लगा सकते हैं।
देवी को मंत्रों से करें प्रसन्न
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।
सर्वमंगल मांगल्ये शिव सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते।।
ऊं जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते।
भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमो स्तुते।।
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते।।
सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि।
गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तुते।।
नवरात्रि पर विशेष ध्यान :
नवरात्रि के इस दौरान प्याज, लहसुन, शराब, मांस-मछली का सेवन न करें, कलेश और मारपीट न करें, काले रंग के कपड़े और चमड़े की चीजें न पहनें, दाढ़ी, बाल और नाखून न काटें, सात्विक जीवन का पालन करें।